
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजे ऑपरेटर्स को बड़ी राहत दी है. इससे पहले 20 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादियों और पार्टियों में डीजे बजाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए अधिकारियों से कहा कि वो कानून के मुताबिक डीजे बजाने की इजाजत दें.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 अगस्त को डीजे की आवाज को नुकसानदायक बताते हुए इसके बजाने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था. 13 सदस्यों के बुंदेलखंड साउंड एंड डीजे एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट दुष्यंत पराशर ने जस्टिस यू. यू. ललित और विनीत सरन की बेंच को बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के बैन लगाने की वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में डीजे संचालक और कर्मचारी बेरोजगार हो रहे हैं.
एडवोकेट दुष्यंत पराशर ने शीर्ष कोर्ट को यह भी बताया कि डीजे ऑपरेटर्स शादियों, बर्थडे पार्टियों और अन्य समारोहों में डीजे बजाकर अपना घर चलाते थे, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के बैन लगाने के बाद इनका कामकाज बंद हो गया है. इनके ये लोग अपने परिवार का पालन-पोषण भी नहीं कर पा रहे हैं.
एडवोकेट परासर ने सुनवाई के दौरान कहा कि डीजे बजाने पर पूरी तरह से बैन लगाना संविधान के अनुच्छेद 16 के तहत मिले मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के बैन के बाद से अधिकारी इनको शादी समारोहों में डीजे बजाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं.
एडवोकेट परासर ने कहा कि हाईकोर्ट ने डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जनहित याचिका पर नहीं दिया है, बल्कि दो व्यक्तियों द्वारा दाखिल एक रिट पिटीशन पर सुनवाई करते हुए दिया है. इस पिटीशन को दायर करने वालों ने अपने रिहायशी इलाके में ध्वनि प्रदूषण का मामला उठाया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 16 दिसंबर तक के लिए टाल दिया.