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बैंकों के समूह ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि शराब कारोबारी विजय माल्या ने जानबूझकर अपनी पूरी संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है. बैंकों ने कहा कि माल्या ने ये भी छुपाया कि इसी साल फरवरी में उन्हें 40 मिलियन डॉलर की रकम ब्रिटेन की एक कंपनी से मिले हैं. कोर्ट ने अवमानना नोटिस वापस करने की माल्या की अर्जी पर बैंकों के समूह से जवाब मांगा है.
बैंकों के समूह की तरफ से पेश होते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने जस्टिस कुरिएन जोसफ और जस्टिस रोहिंटन नरीमन की बेंच को बताया कि इसी साल मार्च के महीने में माल्या ने अपनी कुछ संपत्तियों का खुलासा किया, लेकिन उसमें फरवरी में ब्रिटेन से मिली 40 मिलियन डॉलर की रकम का जिक्र नहीं किया.
रोहतगी ने कहा कि विजय माल्या को अवमानना याचिका पर नोटिस जारी हो चुका है और उन्हें अदालत में पेश होना चाहिए था. उन्हें अदालत में पेश होने से छूट नहीं मिली है और अब उनका पक्ष नहीं सुना जाना चाहिए.
'माल्या के खिलाफ नहीं बनता अवमानना का मामला'
दूसरी ओर, विजय माल्या के वकीलों ने अदालत से कहा कि माल्या की तरफ से अदालत की अवमानना का नोटिस वापस लेने के आदेश के लिए याचिका लगा दी गई है. उनके खिलाफ अवमानना का मामला नहीं बनता, क्योंकि कोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने अपनी संपत्तियों का ब्योरा दे दिया है. कोर्ट ने अवमानना नोटिस वापिस लेने की माल्या की अर्जी पर बैंकों के समूह से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तारिख तय कर दी.
गौरतलब है की 17 बैंकों के समूह ने माल्या पर 9 हजार करोड़ से ज्यादा के बकाए का दावा किया है.