Advertisement

दिल्ली: बढ़ते वायु प्रदूषण पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि यह एक पब्लिक इमरजेंसी है. प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही कई दिशा-निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन अब तक इस बारे में प्रभावी कदम नहीं उठाए गए. अब सुप्रीम कोर्ट फिर से सुनवाई करे.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
अहमद अजीम/सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:36 AM IST

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाई गई EPCA (इंवायरमेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी) की तरफ से पर्यवरणविद सुनीता नारायण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली के हालात बेहद खराब हैं. इस पर तुरंत सुनवाई की जरूरत है. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार को 3:30 बजे सुनवाई का वक्त तय किया है.

Advertisement

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि यह एक पब्लिक इमरजेंसी है. प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही कई दिशा-निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन अब तक इस बारे में प्रभावी कदम नहीं उठाए गए. अब सुप्रीम कोर्ट फिर से सुनवाई करे और इस मामले की निगरानी करे.

पिछली सुनवाई में प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था, 'हम 21वीं सदी में हैं. यूरोप में यह काम 50 साल पहले ही हो चुका है. लंदन मेट्रो को 100 साल हो चुके हैं, जबकि कोर्ट के आदेश पर सरकार के ट्रांसपोर्ट सचिव बैठ जाते हैं. आपको दूरदर्शी और प्रगतिशील बनना चाहिए ना कि इसमें बाधक. सिस्टम में बदलाव की जरूरत है जबकि आपका रवैया पुराना ही है. आप कल्पना के आधार पर कोई फैसला नहीं ले सकते. लग रहा है कि आप अटकलों के स्वर्ग पर बैठे हैं.'

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण के मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें दिल्ली में आने वाले ट्रकों में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस लगाने के आदेश दिए गए थे. दिवाली के बाद से ही दिल्ली और एनसीआर धुएं और कोहरे के मिश्रण यानी स्मॉग में लिपटा हुआ है.

हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा से काफी ज्यादा हो चुका है. लोग मास्क लगा कर बाहर निकल रहे हैं. बच्चे और दमे के मरीज खासतौर पर काफी दिक्कत में हैं. इस भयावह हो चुकी स्थिति में भी राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में लगे हैं. ऐसे में अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की तरफ हैं कि कोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को कड़े निर्देश जारी करे और उनका पालन हो ये भी सुनिश्चित करे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement