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मोदी सरकार के लिए फांस बन चुका राफेल विमान सौदे का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है और अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होने जा रही है.
मनोनीत चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच राफेल विमान सौदे से जुड़े मामले की सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ता ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पक्षकार बनाया है.
याचिका में कहा गया है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत को ये विमान काफी ज्यादा कीमत में बेचने का करार हुआ है. ऐसे में सरकार ने देश के खजाने को नुकसान और अपने चहेतों और उनकी कंपनियों के हितों को लाभ पहुंचाया है. याचिका में विमानों के सौदे को लेकर किए गए करार को रद्द करने की मांग की गई है.
याचिका में आरोप लगाया गया कि दो देशों के बीच हुए इस करार में भ्रष्टाचार हुआ है. पहली बात तो ये करार संविधान के अनुच्छेद 253 के मुताबिक नहीं हुआ है. ये अनुच्छेद संसद के जरिये ऐसे सौदों की मंजूरी की पूरी प्रक्रिया बताता है, लेकिन एनडीए सरकार ने संसद के माध्यम से ये सौदेबाजी का करार नहीं किया है. यह सब कुछ संसद के संज्ञान में लाए बिना ही किया गया है. लिहाजा भ्रष्टाचार के इल्जाम में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर स्वतंत्र एजेंसी से सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में जांच कराई जाए. भ्रष्टाचार साबित होने पर ये रकम इन पक्षकारों से वसूली जाए.
पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने इसे सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था, लेकिन अब चीफ जस्टिस ने इस मामले को सुनवाई के लिए जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच के पास भेज दिया.