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SC के फैसले के तहत करेंगे काम, घर-घर पहुंचाया जाएगा राशन और सीसीटीवीः केजरीवाल

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केजरीवाल सरकार बड़े स्तर पर IAS अधिकारियों से लेकर निचले तबके के अधिकारियों के विभागों में फेरबदल करने के साथ उन्हें नई जिम्मेदारियां सौंप सकती है. अभी तक केजरीवाल सरकार अधिकारियों पर नियंत्रण न होने के चलते कामकाज प्रभावित होने का बहाना बनाती रही है.

मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल
राम कृष्ण/आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:38 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई जीतने के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार फौरन हरकत में आ गई है. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में साफ कहा कि दिल्ली सरकार के सभी फैसले उपराज्यपाल पर बाध्य होंगे. इसके बाद दिल्ली सरकार ने अहम बैठक बुलाई जिसमें कई फैसले लिए गए.

फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सचिवालय पर कैबिनेट की बैठक बुलाई, जिसमें सभी मंत्रियों के विभागों में लंबित पड़े कामकाज से जुड़ी फाइलों को तलब किया गया. हालांकि बीजेपी की ओर से इसे आप सरकार की हार बताया गया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया कि सभी विभागों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरुप काम करने का निर्देश दे दिया गया है.

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ट्रांसफर पोस्टिंग की ताकत अब CM के पास

इसके बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पीसी कर बताया कि फैसले के तुरंत बाद अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की ताकत मुख्यमंत्री के हाथों में फिर से आ गई है.

उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने पीसी में कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने जो फैसला दिया है उसके बारे में थोड़ी देर पहले कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने उस फैसले को कैबिनेट के समक्ष रखा. कैबिनेट में मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की गई, इसके बाद सरकार की ओर से निर्देश दिए गए कि इसी फैसले के अनुरूप काम होंगे.

उन्होंने आगे कहा कि कैबिनेट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि राशन की घर-घर डिलीवरी और सीसीटीवी का काम तुरंत शुरू किया जाए.

LG ने कानून की गलत व्याख्या कीः मनीष

सिसोदिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन विषयों को छोड़कर सारे विषयों पर अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दे दिया है. ट्रांसफर पोस्टिंग सर्विसेज का मामला उन तीन विषयों में नहीं आता इसलिए अब यह शक्तियां फिर से दिल्ली सरकार को मिल गई हैं. सर्विसेज विभाग अब चुनी हुई सरकार के पास रहेगी.

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उन्होंने कोर्ट के फैसले पर स्थिति साफ करते हुए कहा कि जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर छोड़कर सभी मसलों पर कानून बनाने का अधिकार दिल्ली सरकार और दिल्ली विधानसभा के पास रहेगा. मोदी सरकार और उपराज्यपाल ने मौजूदा कानून की गलत व्याख्या कर हमारे अधिकारों को कम किया.

सरकार फिर से सक्रिय

इससे पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट कर बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली सरकार के सभी विभागों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरुप काम करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही जल्द राशन और सीसीटीवी को घर तक पहुंचाने का काम शुरू करने को कहा गया.

मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से केस लड़ने वाले वरिष्ठ वकीलों पी चिदंबरम, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन और इंदिरा जयसिंह के साथ अहम बैठक करने वाले हैं.

केजरीवाल के जश्न का कारण नहीं पताः संबित पात्रा

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मसले पर कहा कि हमें नहीं पता कि किन कारणों से अरविंद केजरीवाल जश्न मना रहे हैं. आप की मांग पूर्ण विधायी अधिकार और उपराज्यपाल को प्रशासनिक प्रमुख नहीं मानने को लेकर थी, लेकिन आज का फैसला उनके इन तर्कों के विरुद्ध है.

उन्होंने कहा कि इस फैसले के अनुसार, एलजी प्रशासनिक प्रमुख बने रहेंगे और उन्हें कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसलों की जानकारी देनी होगी.

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कोर्ट ने नई बात नहीं कीः शैलजा चंद्रा

दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कोई नई बात नहीं कही है, अगर आप संविधान को गौर से पढ़ें तो यह कोई नया फैसला नहीं है. बस स्टैंडिंग पोजीशन को री एक्टिवेट किया गया है. 2015-16 में उपराज्यपाल की ताकत ज्यादा बढ़ी थी, सर्विसेज का सीधा पावर उपराज्यपाल को दिया गया था.

उन्होंने आगे कहा कि पूरा फैसला पढ़ने से जो राय बनती है वह यह कि तीन विषयों को छोड़कर सलाह पर ही चलना पड़ेगा. इसका मतलब है उपराज्यपाल को हर चीज की सूचना तय समय में देनी होगी, कैबिनेट के लिए आपको 48 घंटे पहले बताना पड़ेगा.

प्रशासनिक फेरबदल करने की तैयारी

दिल्ली सरकार का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर के अलावा तमाम मसलों में फैसले लेने का अधिकार आम आदमी पार्टी की सरकार को मिल गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए गुरुवार को केजरीवाल सरकार बड़े पैमाने पर दिल्ली सरकार में प्रशासनिक फेरबदल करने जा रही है.

सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को केजरीवाल सरकार बड़े स्तर पर IAS अधिकारियों से लेकर निचले तबके के अधिकारियों के विभागों में फेरबदल करने के साथ उन्हें नई जिम्मेदारियां सौंप सकती है. अभी तक केजरीवाल सरकार अधिकारियों पर नियंत्रण न होने के चलते कामकाज प्रभावित होने का बहाना बनाती रही है.

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जल्द फैसले का दबाव बनाएगी सरकार

उपराज्यपाल पर कैबिनेट की सलाह की बाध्यता के बाद रोजमर्रा की स्थिति में दिल्ली सरकार के पास अन्य राज्यों की तरह ही अधिकार मिल गए हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने तमाम मंत्रियों को लंबित पड़े कामकाज को जल्द से जल्द निपटाने का आदेश देंगे.

सरकार अब सीसीटीवी परियोजना, मोहल्ला क्लीनिक, नए स्कूलों और राशन की होम डिलीवरी की योजना को फौरन अमल में लाएगी. अभी तक मंजूरी के लिए इन योजनाओं की फाइलें उपराज्यपाल के दफ्तर में लटकी पड़ी थी.

सबसे अहम मौका तब होगा, जब दिल्ली सरकार अधिकारियों के फेरबदल के आदेश जारी करेगी. इस फेरबदल के आदेश को लेकर दिल्ली में एक बार फिर नया बवाल खड़ा होने की आशंका जताई जा रही है.

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