
प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रमोशन में आरक्षण का विरोध करने वाले सपाक्स और प्रमोशन में आरक्षण के समर्थित संगठन अजाक्स दोनों ही संगठनों ने देश की शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन यह फैसला मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार के लिए नया सिरदर्द बन गया है.
दरअसल, पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है जिसके बाद राज्य में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग का संगठन अजाक्स ने इस फैसले का स्वागत किया है. अजाक्स के महासचिव एसएल सूर्यवंशी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील की है कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करें और प्रमोशन में रिजर्वेशन देना एक बार फिर से शुरू करें.
दूसरी तरफ सवर्णों के संगठन सपाक्स ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए प्रमोशन में आरक्षण रोकने की मांग की है. सवर्णों के संगठन सपाक्स के अध्यक्ष एचएल त्रिवेसी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से राज्य में प्रमोशन में आरक्षण नहीं देने की अपील की है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकारों को जिम्मेदारी दी है कि वो अपने स्तर पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है जिसके बाद शिवराज सरकार दुविधा की स्थिति में. हालांकि शिवराज सरकार में विधि मंत्री रामपाल सिंह का कहना है कि सबका ध्यान रखा जाएगा.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि सरकार को जनआशीर्वाद प्राप्त है. कुंआ हो खाई हो सबको पाटने का काम जनता ने हमारे ऊपर छोड़ दिया है और जनता की भावना का भी आदर हो, न्यायालय का भी सम्मान हो ऐसा रास्ता निकाला जाएगा.
देश की शीर्ष अदालत की ओर से यह फैसला आने के बाद शिवराज सरकार के गले की हड्डी बनता दिख रहा है क्योंकि चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रमोशन में आरक्षण जारी रखते हैं तो उन्हें सवर्णों का गुस्सा झेलना पड़ सकता है और आरक्षण के नियम लागू नहीं करती तो उन्हें अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है.