
टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) जमा करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि वे बकाया का भुगतान कैसे करेंगे. कोर्ट ने टाइमफ्रेम के बारे में भी बताने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2019 के फैसले को सार्वजनिक उपक्रमों से बकाया मांगने का आधार नहीं बनाया जा सकता था. अदालत ने टेलीकॉम विभाग को कहा कि वो सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) से बकाया मांगने के मुद्दे पर फिर से विचार करे. इस पूरे मामले में टेलीकॉम कंपनियां और विभाग हलफनामा दाखिल करेंगे. अगली सुनवाई 18 जून को होगी.
क्या है पूरा मामला
एजीआर यानी एडजस्ट ग्रोस रेवेन्यू दूरसंचार विभाग की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिंग फीस है. एक आंकड़ों के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों पर एजीआर के 1.47 लाख करोड़ रुपया बकाया है. भारती एयरटेल पर करीब 35 हजार करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 53 हजार करोड़ बाकी है. इसके अलावा कुछ कंपनियों पर बकाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में टेलीकॉम कंपनियों के मामले में केंद्र सरकार की एजीआर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का सांविधिक बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था. सरकार ने दूरसंचार कंपनियों के लिए एजीआर बकाए के भुगतान को 20 साल में सालाना किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव रखा था.