
पूरे देश में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिलचस्प टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि देश की हर समस्या को अदालती आदेश से नहीं सुलझाया जा सकता.
चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा, 'क्या हमारे एक आदेश से देश में रामराज्य आ जाएगा? क्या हमारे एक आदेश से देश से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा? क्या हमारे एक आदेश से देश में अमन-चैन कायम हो जाएगा?'
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दरअसल, चीफ जस्टिस की सलाह थी कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस ले ले. उनका कहना था कि याचिकाकर्ता दिल्ली से जुड़ा हुआ है. इसलिए, वो हाईकोर्ट में दिल्ली की समस्या उठाए. हर राज्य का मसला उठाना अव्यवहारिक है. यह याचिका एक एनजीओ वाइस ऑफ इंडिया की ओर से दायर की गई थी.
लेकिन एनजीओ के अध्यक्ष धनेश ईश्धन, जो खुद ही बहस भी कर रहे थे, अपनी जिद पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था. उनसे रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को अलग से जगह देने पर जवाब मांगा था. अब उन्हें मामला वापस लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. समस्या पूरे देश में है इसलिए समाधान सिर्फ सुप्रीम कोर्ट कर सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा की राजनेताओं से उसे कोई उम्मीद नहीं है, अगर मौका मिले तो वो तो एक-एक ईंट बेंच दें इसलिए सिर्फ कोर्ट का ही सहारा है.
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चीफ जस्टिोस ने कहा की हम इसे खारिज कर रहे हैं तो इस पर याचिकाकर्ता ने तेज आवाज में कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है? एक मुख्य न्यायधीश मेरी इसी याचिका पर सभी राज्यों को नोटिस जारी करते हैं और आप इसे खारिज कर रहे हैं. आखिर मैं अपने साथ जुड़े लोगों को क्या मुहं दिखाऊंगा. ये एक गंभीर मामला है. कृपा करके इसे खारिज न करें.
आखिरकार लंबी जिरह के बाद तीनों जजों के चेहरे पर थोड़ी मुस्कराहट आई और चीफ जस्टि.स ने मामले को उनके रिटायर होने के बाद फरवरी 2017 में लगाने का आदेश दे दिया.
2014 में एनजीओ वाइस ऑफ इंडिया की तरफ से दाखिल इस याचिका में पूरे देश में फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि सड़क किनारे वाले लगने वाली दुकानों और पार्किंग की वजह से पैदल चलना मुश्किल है. इसकी वजह से बड़े पैमाने पर दुर्घटनाएं भी होती हैं.