
सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. कहा जा रहा है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि यूपीए शासनकाल में भी इस तरह की सर्जिकल स्ट्राइक हुई हैं. सामने आया कि 2011 में दो क्रॉस बॉर्डर खूनी सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. इस दौरान कुल 13 सैनिक मारे गए थे. पाकिस्तान दो भारतीय सैनिकों के सिर को अपने साथ ले गया था, जबकि जवाब में तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर भारतीय सैनिक अपने साथ ले आए थे.
सरकार के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, ये सर्जिकल स्ट्राइक पहले की सर्जिकल स्ट्राइक्स से बिल्कुल अलग है. इसे योजना बनाकर अंजाम दिया गया. इस बार राजनीतिक सहमति के बाद सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया, जबकि पहले सेना के स्तर पर कार्रवाई हुई थी. इस बार 6 आतंकी लॉन्च पैड्स को निशाना बनाया गया. कुछ लॉन्च पैड्स पर 15 से ज्यादा आतंकी थे. पाकिस्तान सेना के हैंडलर्स इन आतंकवादियों को संरक्षण दे रहे थे.
साथ ही कहा गया है कि 2008 का ऑपरेशन बदला, 2013 का ऑपरेशन जिंजर और हमारे दो सैनिकों लांस नायक हेमराज और सुधाकर का सिर कलम करने के बदले तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर लाना सेना का ऑपरेशन यूनिट स्तर पर किया गया था.
सबूत देने की जरूरत नहीं
इतना ही नहीं भारत सरकार के पास इस सर्जिकल स्ट्राइक के काफी सबूत हैं, लेकिन इन्हें सार्वजनिक करने का कोई इरादा नहीं है. सरकार का मानना है कि सर्जिकल स्ट्राइक अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए किया गया, जो कि सरकार का अधिकार है. सबूत देकर भारत किसी भी प्रकार भी गलत धारणा नहीं बनाना चाहता. सबूत सार्वजनिक करने पर पाकिस्तानी सेना पर जवाबी कार्रवाई करने का दबाव हो सकता है, जो कि भारत के लिए हित में ना हो. सरकार का मानना है कि यहां तक अमेरिका ने भी ओसामा को मारने का कोई सबूत नहीं दिया था.
सरकार के सूत्रों के अनुसार अमेरिका और रूस समेत किसी भी देश को जब तक कि सर्जिकल स्ट्राइक पूरा नहीं हो गया, उसकी जानकारी नहीं दी गई. ऑपरेशन के बाद मित्र देशों को इसकी जानकारी दी गई. कुछ मीडिया रिपोर्ट्रस का मानना है कि ऑपरेशन से पहले अमेरिका और रूस को बताया गया था.
कूटनीतिक जीत
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत की कूटनीतिक जीत भी हुई है. किसी भी देश ने इस ऑपरेशन की निंदा नहीं की है, यहां तक कि चीन ने भी. इसलिए किसी भी सबूत को सार्वजनिक करने की आवश्यकता नहीं है. इतना ही नहीं ऑपरेशन का असर ये हुआ कि इससे पहले लॉन्च पैड नियंत्रण रेखा से 1-2 किमी के आसपास थे. वे हम पर करीब से नजर रख सकते थे, और कम समय में हमला भी कर सकते थे. अब लॉन्च पैड हटा दिए गए है. आतंकियों को एलओसी से 8-10 किमी दूर कर दिया गया है.