
नवीन कुमार
मां का लाडला था सुशांत सिंह राजपूत. अपने इस लाडले बेटे से उनकी मां ने एक वादा कराया था कि वो हमेशा हंसता-मुस्कुराता रहेगा. और उन्होंने इस वादे को ताउम्र निभाया. उनके चेहरे पर सदा ही लाखों टन वाली हंसी और मुस्कान रही. उनकी इस मुस्कान में गजब की ऊर्जा थी. इस ऊर्जा से हर वो व्यक्ति प्रभावित हुआ है जो उनकी मुस्कान को देखता है तो वो स्वयं अंदर से खिल उठता है. सुशांत के व्यक्तित्व और उनके काम में भी वो ऊर्जा सकारात्मक रूप में लबालब भरी हुई थी. शायद यही वजह है कि उन्होंने अपनी अभिनय की दुनिया में जिस भी किरदार को जिया वो जीवंत रहा है.
सकारात्मक सोच के साथ काम करने वाले सुशांत में अलग तरह का जोश और जज्बा था. उन्होंने इस मायावी दुनिया में कदम ही इसलिए रखा था कि उन्हें पैसे और शोहरत तो चाहिए ही चाहिए. लेकिन उन्हें हर किरदार में लोग पसंद करें. इसमें उन्हें कामयाबी मिली. क्योंकि, वो किरदार के काया में प्रवेश करने के लिए एक योगी की तरह साधना और मेहनत करते थे.
पवित्र रिश्ता सीरियल में मानव को जीवंत करने के लिए वो कई बार सेट पर ही सो जाते थे और फिर सुबह में तरोताजा होकर मानव को पेश करते थे. इस मानव को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला. उन्होंने काम के प्रति अपने लगन को कभी भी कम होने नहीं दिया.
महान क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी पर आधारित एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी में धोनी के किरदार के लिए जब उनका चयन किया गया तो उन्होंने खुद को कुछ महीने के लिए पूरी दुनिया से अलग कर लिया था. ऐसा इसलिए किया था कि उनके मन और उनकी आंखों के सामने सिर्फ और सिर्फ धोनी हों. और हुआ वही. सुशांत ने अपने में धोनी की काया को समा लिया था. आज के नए दौर में कोई ऐक्टर इस तरह से इतना समय देकर काम नहीं करता है. तभी तो धोनी ने खुद अपने स्टाइल के हेलीकाप्टर शॉट लगाते हुए सुशांत को देखकर पूछ ही लिया था कि यह चमत्कार कैसे कर लिया भाई सुशांत.
इंडस्ट्री के ऐक्टर और सुशांत में अंतर यह था कि वो इंडस्ट्री के बनावटी ऐक्टर नहीं थे. उनके अंदर एक ऐक्टर था जिसने उन्हें इंजीनियर बनने से रोक दिया और बैकग्राउंड डांसर के रूप में प्रवेश कराकर ओरिजनल ऐक्टर के रूप में स्थापित कर दिया. छोटे परदे का मानव सिनेमा में काय पो छे से ही अपनी सफलता की कहानी कहना शुरू कर दिया. पीके का छोटा किरदार सरफराज यूसुफ भी लोगों के जेहन में जिंदा है.
अपनी सिनेमाई यात्रा में नवोदित ऐक्टर होने के बावजूद सुशांत ने साबित कर दिया कि उनके पास मजबूत कंधे हैं जिस पर वो अपनी फिल्म को सौ करोड़ के क्लब में शामिल कर सकते हैं. इस बाहरी ऐक्टर से बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाउस और फिल्मकार भी मुतासिर हुए. उनमें से कुछ के साथ सुशांत को काम करने का मौका मिला और उन्होंने अपने काम से उनको खुश भी किया.
हर ऐक्टर का मन चंचल होता है और वो ऐसे फिल्मकार के साथ काम करना चाहता है जिससे वो एक नया इतिहास रच सके. इस दिशा में सुशांत भी थे. उन्होंने मिस्टर इंडिया फेम शेखर कपूर की फिल्म पानी साइन कर ली और यह फिल्म उनके लिए पानी पर फिसलने जैसी साबित हो गई. बतौर प्रोड्यूसर यशराज फिल्म्स ने हाथ पीछे कर लिया और फिल्म का कोई भविष्य नहीं रहा.
इस बीच अन्य प्रतिभाशाली ऐक्टर की तरह सुशांत ने भी कई बड़ी फिल्मों को साइन करने से इनकार कर दिया. इसमें उनकी ईमानदारी थी कि वो किसी को लटका कर नहीं रखना चाहते थे. लेकिन इस ईमानदारी की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी होगी.
इस इंडस्ट्री का दस्तूर है कि जब कोई ऐक्टर एक फिल्म की वजह से दूसरे प्रोड्यूसरों को निराश करता है तो उसके करियर को तबाह करने वाले भी खड़े हो जाते हैं और इसका कड़वा अनुभव सुशांत को हुआ होगा, इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है. लेकिन सुशांत कमजोर नहीं थे. क्योंकि, वो बाहरी ऐक्टर शाहरुख खान को अपना आदर्श मानते हुए इस इंडस्ट्री में संघर्ष की राह को जानते थे. और वो एक योद्धा ऐक्टर के रूप में डटे रहे.
उन्होंने केदारनाथ, सोनचिड़िया और छिछोरे में साबित कर दिया कि वो इस इंडस्ट्री का ध्रुवतारा हैं. सुशांत की मां ने मनसा देवी मंदिर (बोरने गांव, खगड़िया) में अपने बेटे की तरक्की के लिए मन्नत मांगी थी. दस साल के करियर में सुशांत ने अपनी मां की मन्नत पूरी होते देख ली थी. इसलिए उन्होंने मां की इच्छा पूरी करने के लिए बीते साल अपने ननिहाल बोरने गांव जाकर मुंडन करा लिया था. सुशांत पैसे और शोहरत पाने वाले सिर्फ एक ऐक्टर नहीं थे बल्कि वो एक बेहतरीन मानव भी थे. उनका मानवीय रूप तब सामने आया था जब एक फैन के कहने में उन्होंने केरल के बाढ़ पीड़ितों के साथ नागालैंड में भी आपदा के समय आर्थिक मदद की थी. परोपकारी सुशांत हमेशा याद आएंगे.