
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2019 में होने वाले आम चुनाव में न लड़ने का ऐलान कर भले ही अपने प्रशंसकों को निराश कर दिया, लेकिन उनके पति इस फैसले से बेहद खुश हैं. सुषमा के पति स्वराज कौशल ने पत्नी के फैसले के बाद सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कहा –अब और चुनाव नहीं लड़ने के आपके फैसले के लिए धन्यवाद.
स्वराज कौशल ने कहा कि मुझे याद है एक समय मिल्खा सिंह को भी रुकना पड़ा था. यह दौड़ 1977 से शुरू हुई थी. इसे अब 41 साल हो गए हैं. आप अब तक 11 चुनाव लड़ चुकी हैं. सिर्फ दो बार 1991 और 2004 में आप चुनाव नहीं लड़ी थीं, क्योंकि पार्टी ने आपको चुनावी मैदान में नहीं उतरने दिया. मैं पिछले 46 सालों से आपके पीछे भाग रहा हूं. अब मैं 19 साल का नहीं हूं.
इधर सुषमा के फैसले पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सियासी बयान दे दिया है. चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की हालत को देखकर सुषमा ने 'मैदान छोड़' दिया है. चिदंबरम ने तंज करते हुए कहा कि सुषमा स्मार्ट हैं.
लेखक स्वप्नदास को जवाब देते हुए सुषमा ने साफ किया कि वे सिर्फ 2019 का चुनाव न लड़ने का ऐलान कर रही हैं. राजनीति में वे बनी रहेंगी.
अंदरूनी सियासत का नतीजा तो नहीं
सुषमा स्वराज का चुनाव न लड़ने का ऐलान अप्रत्याशित था. इस फैसले से सवाल उठने लगे कि वो सेहत से परेशान हैं या बीजेपी की अंदरूनी सियासत से. पूछा जाने लगा कि केवल 66 बरस की उम्र में सुषमा स्वराज जैसी दिग्गज नेता को चुनाव से संन्यास का मन क्यों बनाना पड़ा? इस ऐलान से पहले उन्होंने न पार्टी से पूछा और न ही पार्टी को इसकी हवा थी.विख्यात है भाषण शैली
सुषमा स्वराज ने आज जो मुकाम बनाया है, वो यूं ही नहीं है. यह पद और प्रतिष्ठा उनके संघर्षों के सिलसिले का अर्जित है. उनकी भाषण शैली विख्यात है. उनके भाषण के मुरीद सत्ता और विपक्ष दोनों कतारों में हैं.
66 साल की उम्र में फैसले से चौंकाया
66 साल की सुषमा स्वराज पार्टी की बेहद तजुर्बेकार नेता हैं. लेकिन अचानक इस फैसले से सवाल उठना लाजिमी है, क्योंकि 66 की उम्र कोई संन्यास के ऐलान की नहीं होती. कई बार लगा कि सुषमा सरकार में अपनी स्थिति को लेकर सहज नहीं हैं, लेकिन हर बार उन्होंने ऐसे सवालों को टाल दिया. सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई बीजेपी को उनके तजुर्बे की जरूरत नहीं रह गई है.
2016 में लंबे समय तक रहीं थीं बीमार
सुषमा स्वराज का 2016 में लंबे समय तक बीमार रहीं. गुर्दे के ऑपरेशन के बाद एम्स में भर्ती रही थीं, लेकिन इसके बाद वो फिर से सक्रिय हो गई थीं. सबको लग रहा था कि अब वो सामान्य है, लेकिन 2019 के चुनाव की ओर बढ़ती हुई बीजेपी को इसका इल्म कतई न था कि सुषमा स्वराज चुनाव न लड़ने का ऐलान करते हुए पार्टी को पूछेंगी तक नहीं.