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पाकिस्तानी लड़की भारत में बनेगी डॉक्टर, सुषमा स्वराज ने निभाया वादा

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी लड़की को किया गया वादा पूरा किया. भारत की राष्ट्रीयता न होने के बावजूद दिलाई मेडिकल सीट...

Sushma Swaraj Sushma Swaraj
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 06 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 3:22 PM IST

भारत सरकार में विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल रही सुषमा स्वराज वैसे तो सोशल मीडिया पर खासी सक्रिय रहती हैं, लेकिन इस बीच वह एक पाकिस्तानी लड़की को किया गया अपना वादा पूरा कर खबरों में हैं. उन्होंने पाकिस्तानी लड़की के लिए जयपुर के सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज में सीट की व्यवस्था की है.

मशल माहेश्वरी नामक यह लड़की आज 18 साल की है और अपने परिवार के साथ अब से 2 साल पहले पाकिस्तान से हिन्दुस्तान आई थी. गौरतलब है कि वे पाकिस्तान के सिंध प्रांत से ताल्लुक रखने वाले हिन्दू अल्पसंख्यक हैं और पाकिस्तान से धार्मिक वीजा पर आए थे. पाकिस्तान में उस दौरान हिन्दू अल्पसंख्यकों पर हमलों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई थी. इस मेडिकल कॉलेज के कंट्रोलर और प्रिंसिपल डॉ यू एस अग्रवाल ने उसके एडमिशन की पुष्टि की है. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उसे किस कैटेगरी के अंतर्गत दाखिला दिया गया है.

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इस मेधावी छात्रा ने सीबीएसई बोर्ड की +2 परीक्षा में 91 फीसद अंक हासिल किए, मगर अपनी राष्ट्रीयता की वजह से मेडिकल के कॉमन एंट्रेंस NEET नहीं दे सकी. उसने अपनी समस्या को लेकर केन्द्रीय मंत्री को ट्विट किया था और उसे तुरंत ही प्रतिक्रिया मिली.

सुषमा स्वराज ने पाकिस्तानी लड़की की शिकायत पर ट्विट के माध्यम से कहा, "मशल, मेरे बच्चे निराश न हो. मैं निजी तौर पर तुम्हारे मेडिकल कॉलेज एडमिशन का मामला देखूंगी." उसके बाद उन्होंने एडमिशन में लगने वाले तमाम डॉक्यूमेंट्स जमा करने को कहा.

मशल माहेश्वरी को पहलेपहल कर्नाटक में मेडिकल सीट दी गई थी लेकिन उसने गुजरात और राजस्थान प्रांत के लिए रिक्वेस्ट किया. वह पढ़ाई पूरी करके न्यूरोलॉजिस्ट या कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं और ताउम्र भारत की सेवा करना चाहती हैं.

यहां हम आपको बताते चलें कि इस लड़की के माता-पिता भी डॉक्टर हैं और पाकिस्तान के लियाकत यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल एंड हेल्थ साइंसेस से पढ़ाई की है. फिलवक्त वे जयपुर के प्राइवेट अस्पतालों में मेडिकल कंसलटेंसी की सेवा दे रहे हैं. वे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से आज्ञा मिलने के बाद ही भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं. उन्हें ऐसी उम्मीद है कि वे जल्द ही भारत की राष्ट्रीयता पा लेंगे.

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