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पीएम मोदी का डिनर ठुकराने वाले जस्टिस कुरियन सुषमा के साथ विदेश दौरे पर

जस्टिस कुरियन ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी कि जिसने मीडिया में ना सिर्फ अच्छा खासा बवाल खड़ा किया था बल्कि सरकार की धर्मनिरपेक्षता पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए थे.

मोदी सरकार ने भेजा है डेलिगेशन मोदी सरकार ने भेजा है डेलिगेशन
विवेक शुक्ला
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:50 PM IST

आप में से शायद कम ही लोगों को 3 अप्रैल 2015 का गुड फ्राइडे याद होगा, जिसके अगले दिन यानी शनिवार 4 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट जजों को अपने निवास 7 आरसीआर पर डिनर के लिए न्यौता दिया था. न्योता पाने वालों में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस कुरियन जोसफ भी थे जिन्होंने ना सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का डिनर का निवेदन ठुकराया था बल्कि गुडफ्राइडे और ईस्टर के त्योहार के बीच ऐसे शासकीय आयोजन करने के निर्णय पर भी सवाल खड़े किए थे.

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जस्टिस कुरियन ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी कि जिसने मीडिया में ना सिर्फ अच्छा खासा बवाल खड़ा किया था बल्कि सरकार की धर्मनिरपेक्षता पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए थे. वही जस्टिस कुरियन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ वेटिकन सिटी गए सरकारी प्रतिनिधीमंडल में भी शामिल हैं.

मोदी सरकार ने भेजा है डेलिगेशन
सुषमा स्वराज के साथ केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के अलावा लोकसभा एमपी प्रो केवी थॉमस, जोस मनी, एन्टो एंथनी, कोनराड संगमा और गोवा के डिप्टी सीएम फ्रांसिस डिसूजा हैं. इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसफ, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी डेलिगेशन में मौजूद हैं. ये डेलिगेशन मदर टेरेसा को संत की उपाधि दिए जाने के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए भारत सरकार की तरफ से भेजा गया है.

जस्टिस कुरियन ने दी थी पीएम मोदी को धर्मनिरपेक्षता की दुहाई
साल 2015 में दिल्ली में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों की कॉन्फ्रेंस 3 अप्रैल यानी गुडफ्राइडे के दिन शुरू हुई थी. पहले जस्टिस कुरियन ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एचएल दत्तू को पत्र लिखकर आपत्ति जताते हुए कहा था कि गुड फ्राइडे और ईस्टर के ऐसे पवित्र दिनों में जजों की कॉन्फ्रेंस आयोजित नहीं होनी चाहिए. कॉन्फ्रेंस के अगले दिन शनिवार को पीएम मोदी के डिनर में ना आने के लिए जस्टिस कुरियन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी और उसमें धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए लिखा था कि इस तरह का त्योहार लोग अपने परिवार के साथ मनाना पसंद करते हैं. दीवाली, दशहरा, होली या ईद के दिन ऐसे आयोजन नहीं किए जाते हैं और आप भी नहीं चाहेंगे कि ऐसे आयोजन हों'. लेकिन जस्टिस दत्तू ने उनकी आपत्ति खारिज कर दी थी.

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गौरतलब है कि जस्टिस दत्तू ने गुड फ्राइडे के दिन इस कॉन्फ्रेंस को आयोजित करने को भी सही ठहराया था. उन्होंने जस्टिस कुरियन को जवाब देते हुए कहा था कि इस बात का जवाब खुद हमें ढूंढना चाहिए कि व्यक्तिगत हित और संस्थागत हित में से हम किसे वरीयता दें.

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