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सुषमा को नहीं मिली मोदी सरकार में जगह, उमा-अनुप्रिया-मेनका भी बाहर

नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. इस बार सुषमा स्वराज, उमा भारती, मेनका गांधी और अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है.

बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज (फाइल फोटो) बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज (फाइल फोटो)
aajtak.in/सुजीत कुमार
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  • 30 मई 2019,
  • अपडेटेड 10:28 PM IST

नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति भवन में शपथ ली. गुरुवार दिनभर इस बात के कयास लगते रहे कि कौन-कौन मंत्रिमंडल में शामिल होगा. शाम होते-होते मंत्रियों के नामों का खुलासा हो गया. सबसे बड़ी खबर आई कि अमित शाह मंत्रिमंडल में शामिल होंगे.

गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष जीतू वघानी ने अमित शाह को बधाई देते हुए खुलासा किया कि वो मंत्री बनेंगे, लेकिन इसी के साथ ये चौंकाने वाली खबर भी सामने आई कि सुषमा स्वराज मंत्रिमंडल शामिल नहीं होंगी. उनके साथ ही उमा भारती, मेनका गांधी और अनुप्रिया पटेल को भी मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया.

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पहले भाजपा के कद्दावर नेता और एनडीए की पहली सरकार में वित्तमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने वाले अरुण जेटली ने स्वास्थ्य कारणों से मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया और अब मोदी की पिछली सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज और उमा भारती ने मंत्री बनने से इनकार कर दिया है.

बताया जा रहा है कि सुषमा स्वास्थ्य कारणों से ही मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो रही हैं. हालांकि सुषमा स्वराज शपथ ग्रहण समारोह में पहुंची हैं, लेकिन वो दर्शक दीर्घा में बैठी हैं. एनडीए में बीजेपी की सहयोगी अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल भी शपथग्रहण समारोह में मौजूद रहीं.

सुषमा ने विदेश मंत्री के रूप में निभाया था अहम रोल

सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री के रूप में अहम भूमिका निभाई थी. वह आम जनता के बीच काफी लोकप्रिय साबित हुई थीं. विदेश में फंसे भारतीय लोगों के परिजनों ने कई बार उन्हें ट्वीट कर मदद मांगी और हर बार उन्होंने सामने आकर उनकी मदद की. सुषमा स्वराज की राजनीतिक करियर की शुरुआत इमरजेंसी के दौरान हो गई थी. हालांकि आधिकारिक तौर पर उनकी एंट्री राजनीति में तब हुई, जब वह 1977 में हरियाणा से विधायक बनीं.

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25 साल की उम्र में उन्हें हरियाणा सरकार में श्रम मंत्री बनाया गया. उस समय उन्होंने सबसे कम उम्र में मंत्री होने का रिकॉर्ड भी बनाया था. बाद में 1990 में वो पहली बार सांसद बनीं. सुषमा स्वराज के राजनीतिक करियर में 1999 में सबसे बड़ा मोड़ आया जब उन्हें बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया लेकिन सुषमा सोनिया से चुनाव हार गईं. 2000 में सुषमा राज्यसभा सांसद चुनीं गईं और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनीं.

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