
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार स्क्रिप्ट और राइटर स्वानंद किरकिरे ने साहित्य आजतक के मंच पर कई बेहतरीन बातें साझा कीं. साहित्य आजतक के दूसरे दिन मीनाक्षी कंडवाल के साथ बातचीत में स्वानंद ने बताया कि कैसे अलग अलग शहरों ने उन्हें तराशा और इस मुकाम तक पहुंचाया.
खुद के अंदर जूनून और पागलपन को लेकर स्वानंद ने कहा, "मुझे कुछ नया करने से डर नहीं लगता. मैंने 'हजारों ख्वाइशे ऐसी' की थी. बावरा मन देखने चला सपना... ये बहुत पसंद किया गया. इसके बाद बतौर गीतकार मुझे परिणिता मिली. मुझे नहीं लगा कि मैं इसे कर पाऊंगा. उस वक्त मैं थोड़ा सा घबराया था कि क्या मैं कर पाऊंगा या नहीं. लेकिन इसे करने के बाद कई दरवाजे खुले. मुझे बहुत काम मिला. अलग अलग विधाओं में काम किया. मराठी फिल्म 'चुम्बक' में एक्टिंग भी किया. ये अच्छा मौका था. एक मेंटली चैलेंज्ड बंदे का किरदार था. मुझे नहीं पता था कि इस रोल के लिए उन्होंने मुझमें क्या देखा."
स्वानंद ने बताया, "उन्हें (चुम्बक के मेकर्स) लगा कि मैं कर सकता हूं तो मैंने मना नहीं किया. उसके लिए मैंने जरूरी चीजों की तैयारी की. मैंने काफी चीजें पढीं. एनएसडी के जमाने से कई अभिनेताओं से लगातार संपर्क था मेरा. उनसे सुनी और सीखी चीजों को चुम्बक में एक्टिंग के दौरान अप्लाई किया."
स्वानंद ने बताया, "मुझे लगता है कि इंदौर एक्सपोजर के नजरिए से बहुत छोटी जगह है. दिल्ली ने मुझे बहुत सी चीजें सिखाया और दिया. यहां बहुत सी चीजें मुहैया हैं. यहां से ज्ञान, विद्या और स्किल्स सीखकर मैं मंडी (मुंबई) में बेचने चला गया. हां, कह सकते हैं कि इंदौर में बोया, दिल्ली में तराशा और अब मुंबई में बेच रहा हूं."