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स्वरा ने कहा, CAA और NRC गैरजरूरी, इकोनॉमी पर ध्यान दे मोदी सरकार

उन्होंने कहा कि  मैं CAA और NRC का समर्थन नहीं करती हूं क्योंकि इन कानून के सहारे भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की संवैधानिक कोशिश है. ये कानून ना केवल संविधान के खिलाफ है बल्कि ये भारत की एक अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है.

स्वरा भास्कर स्वरा भास्कर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:11 AM IST

CAA और NRC के चलते देश भर में हो रहे प्रदर्शन के बीच बॉलीवुड के कई सितारों ने आजाद क्रांति मैदान में प्रोटेस्ट दर्ज कराया. इस प्रोटेस्ट में एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने भी शिरकत की. स्वरा ने इसके अलावा इंडिया टुडे टीवी एंकर राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत की. स्वरा से पूछा गया कि क्या इन प्रदर्शनों से कुछ फायदा मिलता है?

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इस पर उन्होंने कहा कि 'हमने कई देशों में देखा कि अहिंसक प्रदर्शनों से सरकारों के रवैये में बदलाव आया है. अहिंसक प्रदर्शन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है. सरकार को सेक्शन 144 लगाकर, इंटरनेट बैन कर, पुलिस की हिंसा द्वारा हमारे अधिकार को छीनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. हमारा देश इन्हीं अहिंसक प्रदर्शनों के चलते आजाद हुआ है.'

कई बॉलीवुड सेलेब्स ने की मुंबई प्रोटेस्ट्स में शिरकत

उन्होंने कहा कि 'मैं CAA और NRC का समर्थन नहीं करती हूं क्योंकि इन कानून के सहारे भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की संवैधानिक कोशिश है. ये कानून ना केवल संविधान के खिलाफ है बल्कि ये भारत की एक अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है. अगर आपको सीएए के सहारे पाकिस्तान के हिंदुओं को भारत लेकर ही आना है तो आप उसी प्रक्रिया को क्यों नहीं प्रमोट करते है जिस प्रक्रिया के सहारे अदनान सामी या कोई दूसरा पाकिस्तानी नागिरक यहां सिटिजनशिप ले सकता है.'

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स्वरा ने कहा कि 'मैं नहीं चाहती कि सीएए और एनआरसी भारत में लागू होना चाहिए. हम इसके बिना भी ठीक हैं. आखिर क्यों सरकार जरुरी मुद्दों पर बात नहीं कर रही है? आखिर क्यों वे इकोनॉमी, बेरोजगारी और सरकारी संस्थानों को दुरुस्त करने की कोई कोशिश नहीं कर रही है? देश में हिंदू-मुस्लिम डिबेट कराकर वे महत्वपूर्ण मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं.'

उन्होंने आगे कहा कि 'हमने असम एनआरसी में देखा. लोग लाइन में परेशान हुए, लोगों ने आत्महत्याएं कर ली. भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कुछ सोल्जर्स का नाम तक एनआरसी में सामने नहीं था. लोगों को जबरदस्त आर्थिक परेशानी हुई और 1200 करोड़ से अधिक इस प्रक्रिया पर खर्च हो गए. पूरे देश में इसे लागू करने पर गंभीर हालात होंगे.'

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