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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बांग्लादेश अपनी यात्रा के बाद शुक्रवार स्वदेश लौटीं. सुषमा ने पद संभालने के बाद अकेले की गयी अपनी इस पहली विदेश यात्रा की समाप्ति इस भावना के साथ की है कि उन्होंने दोनों देशों की चिंताओं को दूर करने के लिए अच्छे पड़ोसी धर्म के साथ बहुत अच्छी शुरुआत की है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनकी रवानगी से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘इस यात्रा के बारे में हमारा आकलन है कि यह बहुत ही फलदायी व संतोषजनक रही.’ उन्होंने कहा कि स्वराज इस समझ के साथ लौट रही हैं कि, ‘एक दूसरे की चिंताओं को दूर करने तथा साथ काम करने की दिशा में यह अच्छे पड़ोसी की भावना में अच्छी शुरुआत है.’
इससे पहले स्वराज ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री तथा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की चेयरपर्सन खालिदा जिया से मुलाकात की. जिया स्वराज से मिलने उनके होटल आईं. जिया ने पांच जनवरी को हुए चुनावों का बहिष्कार किया था और आरोप लगाया था कि आवामी लीग सरकार के पास पर्याप्त जनादेश नहीं है.
यह पूछे जाने पर कि क्या बांग्लादेश की मौजूदा सरकार के साथ भारत का व्यवहार नयी सरकार के कार्यकाल 2019 तक जारी रहेगा, प्रवक्ता ने कहा, ‘सरकारें, सरकारों के साथ काम करती हैं और भारत सरकार, बांग्लादेश की सरकार के साथ काम करेगी.’ जिया के आरोपों के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश के आंतरिक मुद्दों का समाधान बांग्लादेश के लोगों को ही करना होगा.’ सुषमा ने अपनी यात्रा के अंतिम दौर में विपक्ष की नेता व जातीय पार्टी की नेता रौशन इरशाद से मुलाकात की.
बांग्लादेश के विदेश सचिव शाहिदुल हक तथा भारत में बांग्लोदश के उच्चायुक्त तारिक ए करीम ने हवाई अड्डे पर स्वराज को विदाई दी.
इससे पहले दिन में स्वराज ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर में पूजा अर्चना की तथा उन्होंने प्रधानमंत्री के सलाहकार प्रोफेसर गोहर रिजवी से मुलाकात की.
स्वराज ने गुरुवार को बांग्लादेश के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की थी जिनमें राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, प्रधानमंत्री हसीना शामिल हैं. उन्होंने बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए एच महमूद अली से भी प्रतिनिधि मंडल स्तर की बातचीत की.
बैठकों के दौरान स्वराज ने तीस्ता जल हिस्सेदारी तथा भू सीमा समझौते (एलबीए) को लेकर बांग्लादेश की चिंताओं को सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई. इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खत भी हसीना का सौंपा. मोदी ने इस पत्र में आपसी संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया है.