
हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नायकू के मार गिराए जाने के बाद पाकिस्तान के आतंकी संगठन बौखला गए हैं. अपने कमांडर के ढेर होने से बौखलाए हिज्बुल मुजाहिद्दीन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन ने कहा कि रियाज नायकू का बलिदान उन्हें उस मिशन को हासिल करने में मदद करेगा जिसे उसने अपना लक्ष्य बनाया है.
सैयद सलाहुद्दीन ने कहा कि कश्मीर मुद्दा एक चिंगारी है जो पूरे क्षेत्र में आग लगा सकती है. आतंकी समूह द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, सलाहुद्दीन ने ये बयान रियाज नाइकू और उसके सहयोगी आदिल अहमद की मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए एक बैठक में दिया.
ये भी पढ़ें- रियाज नायकू के साथी का आखिरी कॉल- 'हम घिर चुके हैं, मैं घायल हूं, TRF से सतर्क रहना'
बेघपोरा में एक ऑपरेशन में ढेर हुआ रियाज नायकू
सुरक्षा बलों को हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू के पुलवामा के बेघपोरा आने की खुफिया सूचना मिली थी. वह यहां अपने परिवार वालों से मिलने आया था और एक घर में छिपा हुआ था. इसके बाद सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन चलाया था और बुधवार को नायकू समेत दो आतंकियों को ढेर कर दिया था.
नायकू पहले गणित का शिक्षक था, लेकिन बाद में आतंक की राह पर चल पड़ा था. वह साल 2012 में आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. बाद में वह हिज्बुल का कमांडर बन गया था. उस पर कश्मीर घाटी में कई आतंकी वारदातों को अंजाम देने के आरोप हैं.
ये भी पढ़ें- जानिए, कैसे डॉक्टरी की पढ़ाई करते-करते आतंकी बन गया सलाउद्दीन?
कौन है सैयद सलाहुद्दीन
सैयद मोहम्मद यूसुफ शाह को सैयद सलाहुद्दीन के नाम से ही जाना जाता है. उसका मकसद कश्मीर को आजाद कराना है. वह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का मुखिया है. साल 2017 में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने उसे विशेष नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था. सलाउद्दीन के पिता भारतीय डाक विभाग में काम करते थे. अपने अपने परिवार में सातवीं संतान है. पहले उसने मेडिसिन की पढ़ाई की लेकिन वह सिविल सर्विस में जाना चाहता था. बाद में उसका रुझान जमात-ए-इस्लामी संगठन की तरफ हो गया और वह उस संगठन के लिए कश्मीर में काम करने लगा.
बाद में 1987 में उसने श्रीनगर की अमीराकदल विधान सभा सीट से चुनाव लड़ा. लेकिन मतगणना के दौरान वह जीत रहा था लेकिन उसी वक्त उस पर बूथ कैप्चरिंग के आरोप लगे और उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. उसके गिरफ्तार हो जाने के बाद वहां जमकर हंगामा हुआ. उसके बाद सलाहुद्दीन को धमकियां दिए जाने की बात सामने आई. लेकिन जेल से छूटकर आने के बाद उसने ऐलान किया कि कश्मीर को आजाद कराने के लिए बंदूक का सहारा लेना ही सही होगा.