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तालिबान चीफ मुल्ला उमर मारा गया

तालिबान चीफ मुल्ला उमर की मौत हो गई है. अफगानिस्तान के सरकारी सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्ट में मुल्ला के मारे जाने का दावा किया गया है. हालांकि तालिबान ने अब तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST

तालिबान चीफ मुल्ला उमर की मौत हो गई है. अफगानिस्तान के सरकारी सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्ट में मुल्ला के मारे जाने का दावा किया गया है. हालांकि तालिबान ने अब तक इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

मुल्ला की एक आंख है और उसने 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान में अपना कट्टरपंथी शासन चलाया था. बाद में अमेरिका नीत सरकार ने उसकी सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया.

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अफगान सरकार और खुफिया सूत्रों के हवाले से बीबीसी ने कहा कि उमर की मौत दो से तीन साल पहले ही हो गई थी. इस बारे में कोई और ब्योरा नहीं दिया गया है.

इसमें तालिबान प्रवक्ता के हवाले से कहा गया कि आतंकवादी संगठन जल्द ही एक बयान जारी करेगा.

ईद पर जारी किया गया था उमर का संदेश
इस माह के शुरू में तालिबान ने ईद की पूर्व संध्या पर उमर का संदेश जारी किया था. इस संदेश में उसने अपने समूह और अफगान सरकार के बीच अफगानिस्तान में 13 साल से चल रहे युद्ध के खात्मे के लिए होने वाली बातीचत को उचित कहकर उसकी सराहना की थी.

अफगान सरकार ने की पुष्टि
बीबीसी ने कहा कि पूर्व में भी उमर की मौत को लेकर कई खबरें आ चुकी हैं. बहरहाल, इस बार अफगान सरकार के शीर्ष सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है. अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के हटने के बाद से उमर फरार है. 9/11 के हमले के बाद उमर द्वारा अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का समर्थन किए जाने के बाद ही अमेरिका के नेतृत्व में अफगानिस्तान के खिलाफ अभियान चलाया गया.

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एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम
उमर पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम था. तालिबान नेता और लड़ाकों ने अपने प्रमुख को 2007 के बाद से नहीं देखा है. अफगान तालिबान ने इस साल 5000 शब्दों की जीवनी प्रकाशित की थी, जो उसके समूह प्रमुख के रूप में 19 वर्ष पूरे करने के अवसर पर प्रकाशित की गई थी. जीवनी में कहा गया कि वह कांधार प्रांत में खाखरेज जिले के चाह-इ-हिम्मत गांव में पैदा हुआ था.

जीवनी में 1983 से 1991 के बीच रूसी सेनाओं के साथ हुई लड़ाई में उमर की उपलब्धियों को गिनाया गया है. इसमें कहा गया कि वह चार बार घायल हुआ और उसकी दायीं आंख चली गयी.

उमर को 1996 में 'अमीर उल मोमीन' का खिताब मिला जो तालिबान के सर्वोच्च नेता को दिया जाता है.

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