Advertisement

अफगानिस्तानः तालिबान बोला- शांति समझौते को लेकर हम प्रतिबद्ध, घटनाक्रम पर भारत सतर्क

अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच 5,000 तालिबान कैदियों को जेलों से रिहा करने के मुद्दे को लेकर गतिरोध बना हुआ है. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पिछले दिनों काबुल में स्पष्ट किया कि सरकार की ओर से ऐसा कोई वादा नहीं किया गया है जबकि तालिबान इस मांग पर कायम है.

दोहा में अमेरिका के साथ तालिबान ने 29 फरवरी को समझौता किया (AP) दोहा में अमेरिका के साथ तालिबान ने 29 फरवरी को समझौता किया (AP)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST

  • 5,000 कैदियों की रिहाई के मुद्दे को लेकर गतिरोध
  • सरकार ने ऐसा कोई वादा नहीं कियाः राष्ट्रपति गनी

अफगानिस्तान से ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि तालिबान आंशिक युद्धविराम तोड़ सकता है और हिंसा का दौर फिर शुरू हो सकता है. हालांकि तालिबान की वार्ता टीम के सदस्य और राजनीतिक दफ्तर के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन का कुछ और कहना है. शाहीन ने इंडिया टुडे को साफ किया कि 29 फरवरी को दोहा (कतर) में अमेरिका और तालिबान के बीच जो समझौता हुआ है, उस पर आगे बढ़ने को लेकर तालिबान ‘प्रतिबद्ध’ है.

Advertisement

बता दें कि अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार और तालिबान के बीच 5,000 तालिबान कैदियों को जेलों से रिहा करने के मुद्दे को लेकर गतिरोध बना हुआ. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को काबुल में स्पष्ट किया कि सरकार की ओर से ऐसा कोई वादा नहीं किया गया है.

अफगान राष्ट्रति के बयान के एक दिन बाद सुहैल शाहीन ने कहा कि अफगानिस्तान में आंतरिक वार्ता शुरू करने के लिए अफगान सरकार को 5,000 तालिबान कैदियों की रिहाई की शर्त पूरी करनी होगी.

ऐसी स्थिति में आशंका जताई जा रही है कि अफगानिस्तान में आंतरिक वार्ता में विलंब होता है तो हिंसा के दौर की फिर शुरुआत हो जाएगी. सोमवार को ऐसी रिपोर्ट आई थीं कि तालिबान इस सूरत में अफगान सुरक्षा बलों पर हमले कर सकता है, लेकिन विदेशी सैनिकों को निशाना बनाने से बचेगा.

Advertisement

हमारे ऑपरेशन काबुल प्रशासन के बलों के खिलाफः तालिबान

रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा है, “अब हिंसा पर विराम की बाध्यता खत्म हो चुकी है. हमारे ऑपरेशन पहले की तरह शुरू होंगे, अमेरिका-तालिबान समझौते के मुताबिक हमारे मुजाहिदीन विदेशी बलों पर हमला नहीं करेंगे. लेकिन हमारे ऑपरेशन काबुल प्रशासन के बलों के खिलाफ केंद्रित होंगे.

वहीं जब सुहैल शाहीन से हिंसा के फिर शुरू होने की संभावना पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘अमेरिका-तालिबान समझौते का पालन किया जाएगा, सिर्फ अफगानिस्तान में होने वाली आंतरिक वार्ता को होल्ड किया जाएगा.’

इस बीच भारत अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए है. अमेरिका-तालिबान समझौते को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि इसको लेकर कोई हैरानी नहीं है.

विदेश मंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा, “ये बातचीत लंबे समय से चल रही थी. ये 17 ट्रेलर्स देखने के बाद ‘पाकीजा’ को आखिरकार देखने जैसा है, अमेरिका अपने सैनिकों की संख्या घटाना चाह रहा है. साथ ही वो काबुल में सरकार और अफगान नेशनल डिफेंस एंड सिक्योरिटी फोर्सेज (ANDSF) को समर्थन दे रहा है.”

2001 का अफगानिस्तान नहींः भारत

जयशंकर ने कहा, “ये 2001 का अफगानिस्तान नहीं है. उसके बाद कई चीज़ें हुई हैं. अमेरिका और पश्चिम के लिए हमारा संदेश है कि ये वैश्विक हित में होगा कि पिछले 18 साल की हमारी वहां उपलब्धियां सुरक्षित रहें और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचे. हमें प्रतीक्षा करनी होगी और देखना होगा कि घटनाक्रम कैसे घटता है.”

Advertisement

इसे भी पढ़ें--- 48 घंटे भी नहीं टिक सका अफगान शांति समझौता, तालिबान ने फिर शुरू किया हमला

इसे भी पढ़ें--- जिस मसूद अजहर को पाक बता रहा था ‘लापता’, उसने अमेरिका-तालिबान डील पर जताई खुशी

विदेश मंत्री के मुताबिक अफगानिस्तान में अभी बहुत से वार्ता-विमर्श होने हैं. जयशंकर ने कहा, देखना होगा कि उन वार्ताओं में कितना तारतम्य रहता है. क्या तालिबान लोकतांत्रिक ढांचा चाहता है या लोकतांत्रिक ढांचे को तालिबान के मुताबिक ढाला जाता है. अफगानिस्तान में आंतरिक वार्ताएं पूरी होने के बाद ही असल तस्वीर सामने आएगी.”

भारत के लिए साफ है कि तालिबान और अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार के बीच बातचीत क्या दिशा लेती है, उस पर नजर रखना बहुत जरूरी है. फिलहाल अफगान सरकार और तालिबान, दोनों ही 5000 तालिबान कैदियों की जेल से रिहाई के मुद्दे पर अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement