
गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के खराब स्वास्थ्य की वजह से उठे सियासी संकट के बीच सत्ताधारी बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं. सहयागी दल महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) और गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) के नेता जल्द दी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिलेंगे.
बीजेपी की स्थिति मजबूत
कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफे के बाद बदले सियासी समीकरण में बीजेपी उत्साहित है. क्योंकि अब बीजेपी सहयोगी दलों की शर्तें मानने के लिए बाध्य नही है. 2 विधायकों के इस्तीफे के बाद 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा की संख्या घटकर 38 रह गई है. ऐसे में यदि बीजेपी विधायक दल कोई नया नेता चुनता है तो पार्टी को बहुमत साबित करने के लिए महज 19 विधायकों की जरूरत होगी. बता दें कि बीजेपी को पहले से ही 23 विधायकों का समर्थन हासिल है.
नरम पड़ा सहयोगी दलों का रुख
इससे पहले पहले मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के अलावा किसी और को नेता चुनने पर सहयोगी दल MGP ने कहा था कि वे पर्रिकर के बाद यदि राज्य की कमान किसी अन्य को सौंपनी है तो उनके नेता सुदिन धावलीकर को सौंपी जाए क्योंकि वे सबसे वरिष्ठ नेता हैं. विधानसभा की संख्या घट कर 38 हो जाने के बाद MGP की स्थिति कमजोर हो गई है. MGP के अध्यक्ष दीपक धावलीकर ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया है कि हमारी तरफ से ऐसी मांग पहले थी. लेकिन अब परिस्थिती बदल चुकी है. उन्हें (बीजेपी) तय करने दीजीए. हम इंतजार करेंगे.
इस मामले में GFP नेता विजय सरदेसाई ने फिर दोहराया है कि सत्ताधारी बीजेपी की ये जिम्मेदारी कि वे वैकल्पिक नेता का चयन करें और उनकी पार्टी राज्य में स्थिर सरकार के प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा है कि नया नेता चुनने के बाद हमसे समर्थन पत्र मांगा जाएगा जिसमें कोई समस्या नहीं होगी.
जाहिर है गठबंधन की दो पार्टियां जिन्होंने बीजेपी नीत सरकार को समर्थन के लिए सिर्फ मुख्यमंत्री पर्रिकर के नाम पर ही हामी भारी थी, उनके रुख नरम पड़ गए हैं.
बहरहाल पूर्व कांग्रेस नेता और मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राने का नाम सीएम पर्रिकर के उत्तराधिकारी के तौर पर सबसे आगे चल रहा है. बता दें कि कांग्रेस के दोनो विधायकों को बीजेपी के खेमे में लाने राने ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.