
फिल्म का नाम: तलवार
डायरेक्टर: मेघना गुलजार
स्टार कास्ट: नीरज कबी, इरफान खान, कोंकणा सेन, तब्बू, सोहम शाह, गजराज राव, अतुल कुमार
अवधि: 132 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3 स्टार
मेघना गुलजार , मशहूर गीतकार गुलजार और अभिनेत्री राखी की बेटी हैं. मेघना ने 'फिलहाल' जैसी फिल्म दर्शकों तक पहुंचाई है और उसके बाद 'जस्ट मैरिड' और साल 2007 में 'दस कहानियां' फिल्म भी की है. मेघना ने 8 साल बाद मशहूर आरुषि मर्डर केस जांच के मद्देनजर फिल्म बनाई है. अब क्या मेघना अपनी बात पूर्णतः जनता तक पहुंचा पाई हैं? आइए फिल्म की समीक्षा करते हैं.
कहानी
फिल्म की कहानी 2008 में दिल्ली से सटे नोएडा में हुए आरुषि मर्डर केस की जांच पर आधारित है. यह कहानी टंडन दंपति की है, जिसमें रमेश टंडन (नीरज कबी), नूतन टंडन (कोंकणा सेन)
अपनी बेटी श्रुति टंडन के साथ रहते हैं. श्रुति का मर्डर घर के नौकर खेमपाल के साथ एक ही रात होता है जिसकी जांच पहले पुलिस और बाद में सीडीआई ऑफिसर अश्विन कुमार (इरफान
खान) के हाथ लगती है और तीन तरह की जांच पेश की जाती है.
स्क्रिप्ट
फिल्म की कहानी खुद विशाल भारद्वाज ने लिखी है और उन्होंने आरुषि मर्डर केस की जांच में सामने आए मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालने की पुरजोर कोशिश की है. कहानी में 3 अलग-अलग
फैसलों पर भी विशेष टिप्पणी की गई है. पिता-बेटी, मां-बेटी, माता-पिता, माता-पिता-बेटी और नौकर, इन सभी के फिल्मांकन को देखकर लगता है की इस फिल्म की लिखावट के पीछे काफी
रिसर्च हुई है. स्क्रिप्ट लेवल पर विशाल ने कोई कमी नहीं छोड़ी है. आखिरी के 12 मिनट और दिलचस्प लगते हैं. संवाद कभी-कभी आपको हंसने पर विवश भी करते हैं.
अभिनय
इस फिल्म की सबसे बड़ी जीत इसकी कास्टिंग है. एक से बढ़कर एक अभिनेता इरफान खान, नीरज कबी, कोंकणा सेन ने बहुत ही उम्दा एक्टिंग क उदाहरण पेश किया है वहीं एक स्पेशल रोल
में एक बार फिर से तब्बू ने बता दिया की आखिर क्यों उन्हें बेहतरीन एक्ट्रेस कहा जाता है. एक पिता के किरदार में नीरज कबी और मां का अभिनय कर रही कोंकणा ने काफी मर्मस्पर्शी
एक्टिंग की है. वहीं जांच के कार्य में जुटे इरफान खान की एक्टिंग की तैयारी भी रंग लाई है. फिल्म में एक्टर्स की खासियत ही इसे कम गंभीर और ज्यादा दिलचस्प बनाती है.
संगीत
फिल्म के संगीत ने भी काफी अहम रोल निभाया है. गुलजार की लिखावट और विशाल भारद्वाज का संगीत कर्णप्रिय है और वो कहानी को आगे लेकर चलता है. वैसे तो कोई भी लिप सिंक
वाला गीत नहीं है लेकिन जब भी बैकग्राउंड में आलाप आते हैं, आप कहानी से बंध जाते हैं. रेखा भारद्वाज का गाया गीत भी छू जाता है.
कमजोर कड़ी
फिल्म की मात्र एक कमजोर कड़ी लगती है, जब एक जांच से दूसरे जांच के बीच का स्विच होता है. तीसरे लेवल की जांच कमजोर सी लगती है. इरफान खान की जांच प्रक्रिया के बाद अतुल
कुमार का ट्रैक हल्का प्रतीत पड़ता है.
क्यों देखें
बेहतरीन एक्टिंग, सत्य घटना पर आधारित कहानी के आप शौकीन हैं, तो ये फिल्म बिल्कुल मिस ना करें. सोचने पर विवश करती है तलवार.