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CAA के खिलाफ तमिलनाडु में कांग्रेस का हल्लाबोल, रंगोली बनाकर विरोध

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ कांग्रेस आज पूरे तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन कर रही है. महिला कांग्रेस जगह-जगह रंगोली बनाकर अपना विरोध दर्ज करा रही है. चेन्नई में महिला कांग्रेस दफ्तर पर कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्कामुक्की हुई है.

तमिलनाडु में रंगोली बनाकर सीएए का विरोध किया जा रहा (फोटो-ट्विटर) तमिलनाडु में रंगोली बनाकर सीएए का विरोध किया जा रहा (फोटो-ट्विटर)
aajtak.in
  • चेन्नई,
  • 31 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

  • रंगोली बनाकर विरोध दर्ज करा रही महिला कांग्रेस
  • कांग्रेस कार्यकर्ताओं-पुलिस के बीच हुई धक्कामुक्की

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ कांग्रेस आज मंगलवार को पूरे तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन कर रही है. महिला कांग्रेस जगह-जगह रंगोली बनाकर अपना विरोध दर्ज करा रही है.

राजधानी चेन्नई में प्रदर्शन के दौरान महिला कांग्रेस दफ्तर पर कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्कामुक्की भी हुई. मदुरै में कांग्रेस की ओर से बड़ी जनसभा की जा रही है.

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तमिलनाडु में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया जा रहा है. सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण भारत में भी इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं.

6 महिलाएं हिरासत में, रिहा

इससे पहले तमिलनाडु में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक अनोखे विरोध प्रदर्शन में कुछ महिलाओं ने रविवार को बेसंत नगर इलाके में 'कोलम' (रंगोली) बनाई और नो टू सीएए, नो टू एनआरसी और नो टू एनपीआर लिखा. सिटी पुलिस ने इस संबंध में छह महिलाओं को हिरासत में लिया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया.

'कोलम' ने बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान आकर्षित किया जिस वजह से यातायात बाधित हुआ. पुलिस ने पहले संपर्क किए जाने पर इस तरह के 'कोलम' को बनाए जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. हालांकि, महिलाओं का यह समूह अपनी योजना के साथ आगे बढ़ा. इन्हें पुलिस ने कम्युनिटी सेंटर में हिरासत में लिया, जिसके कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.

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डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की. एक फेसबुक पोस्ट में स्टालिन ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह अन्नाद्रमुक सरकार के अत्याचार का एक अन्य उदाहरण है, जो संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के इस्तेमाल को रोकता है.

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