
कभी पत्रकारिता से लेकर सियासी गलियारों तक में जिस तरुण तेजपाल का सिक्का चलता था, खोजी पत्रकारिता के लिए जिसकी मिसाल दी जाती थी, यौन शोषण के इल्ज़ाम से घिर कर अब उसी तेजपाल की ज़िंदगी में तहलका मचा है. अब ना तो वो शानो-शौकत है, ना पेशे का जलवा और ना ही वो चाहनेवाले. अब कुछ है, तो वो है हवालात की सीलन भरी दीवारें, मुल्ज़िमों के साथ गुज़रता वक़्त और लानत... फ़क़त 20 रोज़ में पत्रकारिता के हीरो से एक मामूली मुल्ज़िम में बदल चुके तेजपाल को देख कर कहना ही पड़ता है, 'क्या से क्या हो गया!'
कहां तहलका का मैनेजिंग एडिटर होने का जलवा और कहां गोवा पुलिस के एक मुल्ज़िम की ज़िंदगी. कहां दिल्ली के पॉश लिंक रोड में आलीशान बंगले का ऐशो-आराम और कहां पणजी पुलिस की हवालात. कहां क़दम-कद़म पर हाईएंड कारों के सैर-सपाटे और फ़ाइव स्टार लाइफ़ स्टाइल और कहां पुलिस की सरकारी वैन में हिचकोले.
अपने स्टिंग ऑपरेशनों से देश के सियासी हल्के में हड़कंप मचानेवाले पत्रकार तरुण तेजपाल की ज़िंदगी अचानक ही जैसे 180 डिग्री पर लुढ़क गई है. इसे तक़दीर का खेल कहिए या फिर तेजपाल की करतूतों का अंजाम, कल तक लाखों में खेलनेवाले तेजपाल अब गोवा पुलिस का मुल्ज़िम बन कर अंधेरे और गंदे हवालात में लानत-मलामत के बीच पुलिस के सवालों का सामना करने को मजबूर हैं. दो दिनों तक चली लंबी बहस के बाद शनिवार की रात को जैसे ही पणजी की सेशन कोर्ट ने तेजपाल की ज़मानत की अर्ज़ी खारिज की, तेजपाल की तकदीर में हलावात का पता चस्पा हो गया.
कत्ल के मुल्ज़िमों संग गुजारी रात
अदालती खानापूरी के बाद तेजपाल के खिलाफ़ चल रहे यौन शोषण के मामले की जांच कर रही आईओ सुनीता सावंत जैसे ही क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुंची, वहां पहले से ही मौजूद तेजपाल को गिरफ्तार कर लिया गया और इसके बाद उनके वकील और घरवालों से उन्हें अलग कर दिया गया. लेकिन इसके बाद तेजपाल की असली मुसीबत तब शुरू हुई, जब उन्होंने पणजी पुलिस के उस हवालात में बंद किया गया, जहां क़त्ल के दो मुल्ज़िमों समेत पहले से ही तीन लोग बंद थे.
तेजपाल को अदालत के आदेश पर घर से ही भिजवाया गया कपड़ा पहनने की इजाज़त तो मिल गई, लेकिन दूसरे संगीन गुनाहों के मुल्ज़िमों के साथ तेजपाल की ये रात यकीनन उनकी पूरी उम्र में सबसे मुश्किलों भरी रात थी. देर रात तकरीबन साढ़े 12 बजे तेजपाल को गोवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया. यहां रूटीन चेकअप के अलावा तेजपाल के ब्लग शूगर की जांच की गई और ईसीजी भी करवाया गया. और फिर तकरीबन डेढ़ घंटे बाद रात को 2 बजे तेजपाल को लेकर पुलिस वापस हलावात में लौटी. ज़ाहिर है, हवालात में तेजपाल की पहली रात आंखों में ही निकल गई.
तेजपाल की इस हालत को देख कर ये आसानी से समझा जा सकता है कि इतने दिनों से आख़िर वे गिरफ्तारी से बचने की कोशिश क्यों कर रहे थे? ये यही है कि अदालत ने गिरफ्तारी के इन दिनों में भी तेजपाल को अपने वकील और घरवालों से कुछ वक़्त के लिए मिलने की आज़ादी दे रखी है, लेकिन हक़ीक़त यही है कि एक बार पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद उनकी तमाम आज़ादी छिन गई है और अब तेजपाल के लिए वर्दीवालों का हुक्म बजाने के सिवाय फिलहाल और कोई चारा नहीं है.
गिरफ्तारी से ना बच सके तेजपाल
तेजपाल ने ज़ोर तो बहुत लगाया, लेकिन अपनी गिरफ्तारी से बच ना सके. वजह ये तेजपाल पर लगा इल्ज़ाम ना सिर्फ़ बेहद संगीन था, बल्कि शुरुआती तफ्तीश के आईने में ही तेजपाल गुनहगार नज़र आ रहे थे. लिहाज़ा, अदालत ने अपनी आज़ादी के हक़ में तेजपाल की ओर से दी गई हर दलील को खारिज कर दिया और आख़िरकार वही हुआ, जिसके डर से तेजपाल के रातों की नींद और दिन का चैन हराम हो चुका था.
बेकार गईं तेजपाल की दलीलें
- यौन शोषण के इल्ज़ाम से घिरे तेजपाल ने कहा कि ये उनके खिलाफ़ सियासी साज़िश है, लेकिन कोर्ट ने नहीं माना.
- तेजपाल ने कहा कि रिपोर्ट लिखवाने में हुई देरी लड़की पर सवाल खड़े करती है, लेकिन कोर्ट ने नहीं माना.
- तेजपाल ने कहा कि उन्होंने वैसा कुछ किया ही नहीं, जैसा लड़की कह रही है, लेकिन कोर्ट ने नहीं माना.
- तेजपाल ने कहा कि ये सख्ती ज़रूरत से ज़्यादा है, लेकिन कोर्ट ने नहीं माना.
जानते हैं क्यों? क्योंकि तेजपाल पर जो इल्ज़ाम था, उसके आगे ये तमाम दलीलें फेल हो गई. अदालत शायद तेजपाल की दलीलों को तवज्जो दे भी देती, लेकिन जहां लड़की ने खुद सामने आकर ना सिर्फ़ तेजपाल की तमाम पोल पट्टी खोल दी, बल्कि हालात और सुबूत भी तेजपाल के गुनाह की तरफ़ इशारा करने लगे, वहां अदालत के सामने तेजपाल की अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी को खारिज करने के सिवाय कोई चारा ही नहीं था.
पणजी के इसी सेशन कोर्ट के दरवाज़े पर पत्रकार तरुण तेजपाल जितनी उम्मीद के साथ पहुंचे थे, यहां से उन्हें उतना ही नाउम्मीद होकर लौटना पड़ा. और उन्हीं वजहों से उनकी तमाम कोशिशों, तर्कों, दलीलों और लंबी चली सुनवाई के बावजूद उन्हें आखिरकार उन्हें गिरफ्तार होना ही पड़ा.
सेशन कोर्ट की जज अनुजा प्रभुदेसाई ने तेजपाल की याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में जो बातें लिखीं, उसे पढ़ कर ये साफ़ हो जाता है कि तेजपाल के लिए आनेवाले दिन और भी ज़्यादा मुश्किलों भरे हैं. जज ने कहा, 'यौन शोषण की रिपोर्ट लिखवाने में हुई देरी ऐसे किसी मामले में मुल्ज़िम को लाभ देने का कोई मापदंड नहीं हो सकता. क्योंकि यौन शोषण और बलात्कार जैसी किसी भी वारदात का शिकार होने के बाद पीड़ित लड़की जो जितना जिस्मानी और ज़ेहनी सदमा लगता है, उससे ऊबरने में किसी को भी लंबा वक़्त लग सकता है. इसलिए बचाव पक्ष की इस दलील को तवज्जो नहीं दी जा सकती.'
जज ने आगे कहा, 'पहली नज़र में लड़की की तरफ़ से लगाए गए इल्ज़ाम ना सिर्फ़ सही लगते हैं, बल्कि उसके दोस्तों की गवाही, सीसीटीवी फुटेज, तेजपाल और लड़की के ई-मेल्स जैसे सुबूत भी हमें बचाव पक्ष की दलीलों से मुतमईन होने का मौका नहीं देते हैं. मुल्ज़िम पर आईपीसी की धारा 354-A और 376 (2) (k) के तहत इल्ज़ाम बनते हैं और जिसमें सात साल से लेकर ताउम्र क़ैद तक मुमकिन है.'
अंत में अदालत ने तेजपाल को एक रसूखदार शख्स मानते हुए ये कहा कि चूंकि मुल्ज़िम ने पहले भी लड़की के घरवालों को इस मामले से पीछे हटने के लिए दबाव डालने की कोशिश की, इस मामले में तेजपाल की ज़मानत अर्ज़ी को कुबूल करना मुमकिन है. लिहाज़ा, ये अर्जी अभी और इसी वक़्त खारिज की जाती है.
दो गुज़ारिशों को अदालत ने दरकिनार कर दिया
दो दिनों में तेजपाल की दो गुज़ारिशों को अदालत ने दरकिनार कर दिया. पहली गुज़ारिश अग्रिम ज़मानत की थी, जबकि दूसरी गुज़ारिश पुलिस रिमांड ना देने की... क्योंकि पुलिस अदालत को ये समझाने में कामयाब रही कि रसूखदार तेजपाल के सीने में यौन शोषण की वारदात से जुड़े अभी भी कई ऐसे राज़ दफ़्न हैं, जो क़ायदे से पूछताछ करने पर ही बाहर आ सकते हैं.
कहते हैं इंसान जिस चीज़ से भागता है, वही उसका पीछा करती है... तेजपाल गिरफ्तारी से भाग रहे थे... घबरा रहे थे... लेकिन ना सिर्फ़ गिरफ्तार हो गए, बल्कि गिरफ्तारी के बाद रिमांड की सूरत में छह दिनों के लिए सीधे पुलिस के शिकंजे में भी पहुंच गए.
अब पुलिस उनसे गोवा में हुए तहलका के थिंक फेस्ट के दौरान अपनी ही मातहत काम करनेवाली रिपोर्टर से की गई जिस्मानी ज़्यादती का एक-एक हिसाब जानने की कोशिश करेगी.
तरुण तेजपाल को कोर्ट ने 6 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेजा
वैसे तो शनिवार को तेजपाल की गिरफ्तारी के साथ ही उनके इस अंजाम का अहसास होने लगा था, लेकिन पुलिस और क़ानूनी प्रक्रियाओं ने इसे एक दिन के लिए और आगे खिसका दिया. तेजपाल की अग्रिम जमानत की अर्जी की सुनवाई के दौरान ही पुलिस ने 14 दिनों के उनकी रिमांड मांग कर अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए थे. जो एक दिन बाद यानि रविवार को आख़िरकार अमल में आ ही गया.
रविवार की सुबह गोवा पुलिस ग्यारह बजकर चालीस मिनट कर तेजपाल को हॉली-डे कोर्ट लेकर पहुंची. चूंकि रविवार छुट्टी का दिन है, ये कोर्ट ऐसे ही चुनिंदा मामलों की सुनवाई के लिए बैठी थी. पुलिस ने यहां शनिवार की तरह ही तेजपाल के गुनाह को संगीन करार देते हुए कोर्ट से 14 दिनों के लिए उन्हें रिमांड पर सौंपने की गुज़ारिश की, ताकि उनसे तफ्सील से पूछताछ की जा सके.
पुलिस ने कहा, 'तेजपाल पर लगा इल्ज़ाम बेहद संगीन है और ऐसे मामले की तफ्तीश के लिए मुल्ज़िम को रिमांड पर लेना बेहद ज़रूरी है. चूंकि शुरुआती छानबीन में ही तेजपाल का गुनाह साफ़ हो गया है. आगे की तफ्तीश में बाकी कड़ियों को जोड़ना अभी बाकी है. तेजपाल पहले ही अपने ई-मेल के ज़रिए इकबाल-ए-जुर्म कर चुका है. फिर होटल के सीसीटीवी फुटेज भी तेजपाल के खिलाफ़ एक पुख्ता सुबूत है. दूसरी तरफ़ लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत जो बयान दिया था, अब तक की तफ्तीश से उसका बयान भी मेल खानेवाला है. ऐसे में इस रसूखदार मुल्ज़िम से पूछताछ कर जल्द से जल्द तमाम सुबूत जुटाना ज़रूरी है.'
दूसरी ओर, अदालत में तेजपाल के वकीलों यानी बचाव पक्ष ने उन्हें रिमांड पर दिए जाने का विरोध किया. तेजपाल के वकीलों का कहना था, 'इस मामले में तेजपाल शुरू से ही पुलिस और क़ानून का साथ दे रहे हैं. गोवा आने के बाद से अपनी गिरफ्तारी तक वो लगातार खुद अपनी तरफ़ से चलकर पुलिस के पास हाज़िर होते रहे हैं और क़ायदे-क़ानूनों को माननेवाले एक ज़िम्मेदार शख्स और एक जाने-माने पत्रकार हैं. ऐसे में उन्हें अलग से रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की कोई ज़रूरत नहीं है.'
लेकिन, दोनों तरफ़ की दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने तेजपाल को छह दिनों के लिए पुलिस रिमांड पर सौंप दिया. अब पुलिस उनसे पूछताछ के अलावा उन्हें उन तमाम जगहों पर भी ले जाएगी, जहां से इस वारदात का कोई वास्ता रहा है.