
राजनीतिक दलों के चंदे पर गहन अध्ययन करने वाली संस्था एडीआर का कहना है कि आमतौर पर जब राजनीतिक दल आयकर विभाग के सामने अपना आयकर रिटर्न भरते हैं तो बेहद अच्छी खबर मानी जाती है. ऐसे कम मौके होते हैं जब किसी पार्टी के आयकर को जांच के दायरे में लाया जाता है. लेकिन आम आदमी पार्टी को मिला आयकर विभाग का नोटिस सबके लिए चौंकाने वाला है. आयकर विभाग ने AAP को कारण बताओ नोटिस भेजते हुए चंदे पर जवाब मांगा है.
पिछले दस साल में एक दूसरा मौका होगा जब किसी राजनीतिक दल को इस तरह का नोटिस भेजा गया है. इससे पहले साल 2006-07 के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपनी आय जीरो दिखाने के जांच के दायरे में आ गई थी. बाद साबित हुआ की एनसीपी का इनकम टैक्स रिटर्न सही है. दोनों दलों में समानता है यह है कि वो सत्ता की धुरी से दूर हैं. मोदी सरकार के साथ AAP के रिश्ते जगजाहिर हैं और एनसीपी ने नोटिस के बारे में कभी जनता को नहीं बताया. यूपीए सरकार की सहयोगी एनसीपी के लिए यह कोई मुद्दा ही नहीं रहा. इसलिए उसकी चर्चा भी नहीं हो सकी.
अब जब आयकर विभाग ने AAP को 30.67 करोड़ का नोटिस भेजा तो यह चर्चा फिर तेज हो गई. नोटिस में कहा गया है कि पार्टी ने 13.16 करोड़ की आय का खुलासा ही नहीं किया. इसमें कहा गया है कि आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग को दी चंदे की जानकारी में 461 दान देने वालों के नाम और पते की जानकारी नहीं दी जिन्होंने 6.26 करोड़ रुपये दिए. आरोप यह भी है कि AAP ने जांच भटकाने की कोशिश की जबकि उनको अपनी सफाई पेश करने के लिए 34 मौके दिए गए.
एडीआर के मुताबिक कई ऐसी पार्टियां हैं जिन्होंने कभी इनकम टैक्ट रिटर्न नहीं दाखिल किया. यहां तक की अपने चंदे की जानकारी तक नहीं दी. जो भी पार्टी इनकम टैक्स देती है उसे चुनाव आयोग और IT विभाग के पूरे दस्तावेजों को दुरुस्त करने के लिए कहा जाता है. एडीआर ही इस बात की पड़ताल करती है कि पार्टी ने सरकार के सामने किस तरह का ब्यौरा दिया है.