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तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव इस्तीफा देकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से कर चुके हैं. वह इस साल चार राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ तेलंगाना का भी चुनाव कराना चाहते हैं, लेकिन उनके इन अरमानों को चुनाव आयोग झटका दे सकता है.
इस साल होने वाले राज्यों के चुनाव को लेकर शुक्रवार को चुनाव आयोग की बैठक हो रही है. मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि तेलंगाना के विधानसभा चुनाव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ होने थे. इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के विधानसभा चुनाव के साथ तेलंगाना के चुनाव कराए जाएं, इसके लिए आयोग को राज्य की स्थिति को समझना होगा.
उन्होंने कहा कि तेलंगाना के विधानसभा चुनाव किस तारीख में कराए जाने चाहिए इसे कहना मुश्किल है. सुप्रीम कोर्ट के जो दिशा निर्देश हैं हम उसी के अनुसार फैसला करेंगे.
बता दें कि के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने गुरुवार को इस्तीफा देकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है जिसे राज्यपाल ने स्वीकार भी कर लिया है. सीएम ने राज्यपाल को जाकर अपना इस्तीफा सौंपा, जबकि अभी 8 महीने का उनका कार्यकाल बाकी है.
इस्तीफे के बाद केसीआर ने 105 उम्मीदवारों के नाम को घोषणा भी कर दी है. इसके अलावा प्रदेश में माहौल बनाने के लिए चुनावी दौरा भी शुरू कर रहे हैं. एक तरह से देखा जाए तो उन्होंने विधानसभा चुनाव की पूरी तरह से तैयारी कर ली है.
राज्य विधानसभा का अगला चुनाव 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही कराया जाना है, लेकिन मुख्यमंत्री राव इस साल के अंत में 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही इस राज्य के चुनाव कराने के मकसद से यह फैसला किया है. इस साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, छ्त्तीसगढ़ और मिजोरम में एक साथ विधानसभा चुनाव होने हैं.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री राव चाहते हैं कि अचानक विधानसभा भंग करा दिए जाने से चुनाव की तैयारियों के लिए विपक्षी दलों को ज्यादा मौका न मिले. राव को इस बात एहसास है कि राज्य में आज की तारीख में विपक्ष के पास उनके बराबर का कोई भी नेता नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव कराए जाने से उन्हें खासी मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और अपनी छवि का राज्यस्तरीय चुनाव में फायदा उठा सकेंगे.
अप्रैल तक रुकते तो आम चुनाव के माहौल में राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का फैक्टर तेलंगाना समेत शेष भारत में फैल सकता है. कांग्रेस वहां पर मुख्य विपक्षी दल है और पार्टी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देती है तो लोकसभा वोटिंग के दौरान विधानसभा की वोटिंग पर भी इसका असर पड़ सकता है.