
गुजरात के राजकोट में एक संगठन ने प्रधानमंत्री मोदी का मंदिर बना डाला . इसी तरह संघ का एक कार्यकर्ता इलाहाबाद में मोदी की पूजा कर रहा है. ये कोई पहली बार नहीं. पहले भी राजनेताओं के मंदिर बनाने और उनकी पूजा किए जाने की ख़बरें आती रही हैं. देश के कई ऐसे नेता हैं जिनके आज भी मंदिर हैं. आईए जानते हैं कुछ ऐसे ही नेताओं के बारे जिन्हें 'भगवान' बना दिया गया.
मोदी मंदिर
गुजरात के राजकोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंदिर एक स्थानीय संगठन ओम युवा समूह ने बनवाया है. क़रीब 300 लोगों के इस संगठन ने आपस में चंदा एकत्र कर मंदिर बनाने का सारा ख़र्च उठाया. मंदिर बनाने में 4-5 लाख रुपये का ख़र्च आया है. मंदिर का उद्घाटन एक केंद्रीय मंत्री को करना था लेकिन मोदी की नाराजगी के बाद कार्यक्रम रद्द हो गया.
नमो नमो मंदिर
उत्तर प्रदेश के कौशांबी ज़िले के एक गांव में मोदी की मूर्ति की रोज पूजा-अर्चना की जाती है. आरएसएस के कारसेवक और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी रह चुके बृजेंद्र मिश्र ने पिछले साल 21 जनवरी को भगवानपुर गांव के शिव मंदिर में मोदी की प्रतिमा स्थापित की थी. उसके बाद मंदिर को नाम दिया गया था 'नमो नमो मंदिर'. इस मंदिर में रोज़ सुबह और शाम मोदी की आरती और पूजा की जाती है. जिसमें गांव के लोग भी भाग लेते हैं.
सोनिया गांधी
अब कांग्रेसी तो और आगे हैं. आंध्र प्रदेश के महबूब नगर में एक कांग्रेसी नेता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक बड़ी मूर्ति बनवाई. नौ फीट की इस मूर्ति को तेलंगाना टाल्ली नाम दिया गया. जिसका अर्थ होता है तेलंगाना की माता. इस काम को अंजाम दिया कांग्रेस नेता पी. शंकर राव ने. अलग तेलंगाना राज्य बनाने के पार्टी के फैसले के बाद सोनिया गांधी की यह मूर्ति स्थापित की गई. इसके अलावा कई बार सोनिया के देवी रूप वाले पोस्टर भी चर्चाओं में रहे हैं.
अटल बिहारी बाजपेयी
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में 15 साल पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी का मंदिर बनवाया गया था. सत्यनारायण टेकरी नाम की पहाड़ी पर बने इस मंदिर में बाकायदा एक पुजारी भी रखा गया है. हर साल वाजपेयी के जन्मदिन पर इस मंदिर में खास पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर में अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित की गई थी. लेकिन बाद में वो वाजपेयी को ही भेंट कर दी गई. उसके स्थान पर मंदिर में वाजपेयी की भव्य तस्वीर लगाई गई है.
जयललिता
एआईएडीएमके की अध्यक्ष और तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता भी उनके समर्थको के लिए किसी देवी से कम नहीं है. 67 साल की जयललिता तीस सालों से राजनीति में सक्रिय हैं. समर्थक उन्हें अम्मा के नाम से पुकारते हैं. और कई तो अपने घरों में उनकी तस्वीर और मूर्ति लगाकर पूजा करते हैं. जिनमें तमिलनाडू के पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम का नाम भी शामिल है.
वसुंधरा राजे सिंधिया
राजस्थान में बीजपी नेता और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पूजा करने वाले भी बहुत हैं. जोधपुर जिले में एक भाजपा नेता ने शहर के एक मंदिर में राजे का बड़ा सा पोस्टर लगाकर उनकी पूजा करनी शुरू कर दी. उस पोस्टर में वसुंधरा राजे को अन्नपूर्णा देवी के रुप में दिखाया गया है. उनके आस-पास अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह को ब्रह्मा-विष्णु-महेश की शक्ल दी गई है.
वाईएसआर रेड्डी
डॉक्टर येदुगुड़ी सनदिंति राजशेखर रेड्डी को वाईएसआर के रूप में जाना जाता रहा. वे आंध्र प्रदेश के एक करिश्माई और लोकप्रिय नेता थे. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की इकाई ने विशाखापटनम में उनकी याद में एक मंदिर का निर्माण कराया. राजगोपालापुरम गांव में बने इस मंदिर को राजशेखरा रेड्डी अलायम नाम दिया गया है. इसमें वाईएसआर की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई थी. इस मंदिर का उद्घाटन पार्टी के प्रमुख और वाईएसआर के पुत्र वाईएस जगमोहन रेड्डी ने किया था. अब यहां नियमित रुप से उनकी पूजा की जाती है. इसके अलावा खम्मम जिले में भी वायएसआर का मंदिर बनवाया गया है.
एम करुणानिधि
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम करुणानिधि का मंदिर राज्य के वैलूर जिले में उनके समर्थको ने स्थापित किया है. समीरेड्डीपल्ली गांव में इस मंदिर का निर्माण डीएमके समर्थकों और नेताओं ने करुणानिधि के प्रति सम्मान जताने के लिए किया था. मंदिर में डीएमके के वरिष्ठ नेता एमके स्टालिन और दुरई मुरगन को भी विशेष स्थान दिया गया है. मंदिर जनता के लिए खोल दिया गया है. जहां वे पूजा अर्चना करते हैं.
बाल ठाकरे
शिवसेवा के संस्थापक बाल ठाकरे का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है. जिस पर 15 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है. चंद्रपुर जिले के भद्रावती में इस मंदिर के निर्माण के लिए भद्रावती नगर परिषद ने करीब पांच एकड़ जमीन दी है. यहां की नगर पालिका पर दस सालों से शिवसेना ही काबिज है. पहले यह मंदिर मुम्बई में बनाया जाना था लेकिन विवादों की वजह से इसे भद्रावती में बनाया जा रहा है.
मायावती
अब तक के सभी मामले तो समर्थकों की ओर से अपने नेता के प्रति प्रेम दर्शाने के थे. लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ऐसी नेता हैं जिन्होंने खुद ही अपनी मूर्तियां लगवाई हैं. यूपी की मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य के पार्कों, स्मारकों में दलित नेताओं, चिंतकों, और सुधारकों के साथ-साथ अपनी प्रतिमाएं भी लगवाई हैं. इन प्रतिमाओं को लेकर यूपी की सियासत भी कई बार गर्मा चुकी है. लेकिन मूर्तियां वहीं की वहीं हैं. मायावती की शान में 'माया पुराण' की रचना भी की गई है. जिसमें मायावती को समता मूलक समाज की आराध्य देवी कहा गया है.
इनके अलावा भी कई नेता हैं जिन्हें कभी पोस्टर में तो कभी होर्डिंग में देवी या देवता बनाकर पेश किया गया. कई बार नेताओं पर चालीसा लिख दी गई तो कभी आरती. सियासत में जब बड़े नेताओं की नजरों में आना हो तो ऐसे की कारनामें कर कई लोग अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं. यही वजह है कि कई नेता भी जीते जी 'भगवान' का दर्जा पा गए. और ये सिलसिला जारी है.