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देश के कई राज्यों में मजदूर संगठनों की हड़ताल के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है. इसका सबसे ज्यादा असर परिवहन व्यवस्था पर देखा जा रहा है. दिल्ली, केरल, ओडिशा, बंगाल और महाराष्ट्र में कई श्रमिक संगठन सड़कों पर हैं और अपनी-अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
मुंबई में बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और यातायात (बेस्ट) के 33,000 से अधिक कर्मचारी अपनी कई मांगों को लेकर मध्यरात्रि से हड़ताल पर चले गए जिससे शहर में बस सेवा ठप पड़ गई. इससे रोजाना यात्रा करने वाले कम से कम 25 लाख लोग प्रभावित हुए. बेस्ट प्रशासन और एक औद्योगिक अदालत ने हड़ताल को अवैध घोषित किया था. इसके बावजूद कर्मचारी संघ के नेताओं के आह्वान पर कर्मचारियों ने 27 डिपो में से एक भी बस नहीं निकाली. बेस्ट के पास लाल रंग की 3,200 से अधिक बसें हैं जो शहर के अलावा ठाणे जिले और नवी मुंबई में सेवाएं देती हैं. यह लोकल ट्रेन के बाद मुंबई में परिवहन का सबसे बड़ा साधन है. इन बसों से लगभग 80 लाख यात्री रोजाना यात्रा करते हैं.
कर्मचारी उच्च वेतन, घाटे में चल रही बेस्ट का बजट बृहन्मुंबई महानगर पालिका में जोड़े जाने और नए भत्ते समझौते पर विचार-विमर्श सहित अनेक मांगें कर रहे हैं. एक सूत्र ने बताया कि कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बेस्ट को हर दिन तीन करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है.
बेस्ट कर्मचारी संघ के नेता शशांक राव ने आरोप लगाया कि परिवहन प्रशासन ने गतिरोध को दूर करने के लिए कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई जिससे कर्मचारियों के पास हड़ताल पर जाने के सिवा कोई चारा नहीं बचा. गौरतलब है कि औद्योगिक अदालत ने सोमवार को हड़ताल को अवैध घोषित किया था और मजदूर संघों और बेस्ट कर्मचारियों को हड़ताल नहीं करने को कहा था लेकिन राव का कहना है कि उन्हें अदालती आदेश की कॉपी नहीं मिली है.
कोलकाता में हड़ताल के दौरान तृणमूल और माकपा कार्यकर्ताओं की झड़प की खबर है. माकपा ने न्यूनतम तनख्वाह, सामाजिक सुरक्षा स्कीम और सरकारी संस्थानों के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया है. टीएमसी ने हड़ताल का विरोध किया है और कहा कि लोगों को कोई परेशानी न हो, सरकार ऐसा सुनिश्चित करेगी.
केरल और ओडिशा में भी हड़ताल से प्रभावित होने की रिपोर्ट है. हड़ताल के कारण भुवनेश्वर के एनएच 16 पर लंबा जाम लग गया. कई मजदूर संगठन एनएच पर जमे हुए हैं जिस कारण लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है.
दिल्ली में भी हड़ताल का आंशिक असर देखा गया. यहां ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (एआईसीसीटीयू) के सदस्यों ने पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किया और निजीकरण सहित और भी कई मांगों का विरोध किया.
बैंकों के कामकाज पर असर
बैंक कर्मचारी यूनियन, श्रमिक संगठनों, नॉर्थ ईस्ट में सिटिजनशिप बिल के विरोध में तमाम संगठनों ने 8 और 9 जनवरी को हड़ताल का आह्वान किया है. इसके चलते लोगों को बैंक संबंधी कामों को लेकर कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि इन दो दिनों के दौरान देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में संभवत: कामकाज होगा जिसकी 85,000 शाखाएं हैं. कुछ अन्य नेशनल बैंकों में भी सामान्य कामकाज होने की उम्मीद है.
सरकार के एक तरफा श्रम सुधार और श्रमिक-विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संघों ने मंगलवार से दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. संघों ने जारी संयुक्त बयान में इसकी जानकारी दी कि करीब 20 करोड़ कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होंगे. एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने सोमवार को 10 केंद्रीय श्रमिक संघों की एक प्रेस वार्ता में पत्रकारों से कहा, दो दिन की हड़ताल के लिए 10 केंद्रीय श्रमिक संघों ने हाथ मिलाया है. हमें इसमें 20 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत सरकार की जनविरोधी और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ इस हड़ताल में सबसे ज्यादा संख्या में संगठित और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी शामिल होंगे. दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कोयला, इस्पात, बिजली, बैंकिंग, बीमा और परिवहन क्षेत्र के लोगों के इस हड़ताल में शामिल होने की उम्मीद है. कौर ने कहा, हम बुधवार को नई दिल्ली में मंडी हाउस से संसद भवन तक विरोध जुलूस निकालेंगे. इसी तरह के अन्य अभियान देशभर में चलाए जाएंगे.
10 श्रमिक संगठनों का हल्ला बोल
कौर ने कहा कि केंद्रीय श्रमिक संघ एकतरफा श्रम सुधारों का भी विरोध करता है. उन्होंने कहा, हमने सरकार को श्रमिक कानूनों के लिए सुझाव दिए थे, लेकिन चर्चा के दौरान श्रमिक संघों के सुझाव को दरकिनार कर दिया गया. हमने 2 सितंबर 2016 को हड़ताल की. हमने 9 से 11 नवंबर 2017 को 'महापड़ाव' भी डाला, लेकिन सरकार बात करने के लिए आगे नहीं आई और एकतरफा श्रम सुधार की ओर आगे बढ़ गई. इस हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हो रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ इसमें भाग नहीं ले रहा है.
मजदूर संगठनों की क्या है मांग?
कौर ने कहा कि सरकार रोजगार पैदा करने में नाकाम रही है. सरकार ने श्रमिक संगठनों के 12 सूत्रीय मांगों को भी नहीं माना. श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में बने मंत्रीसमूह ने 2 सितंबर की हड़ताल के बाद श्रमिक संगठनों को चर्चा के लिए नहीं बुलाया. इसके चलते हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. श्रमिक संघों ने ट्रेड यूनियन अधिनियम-1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध किया है.
फिर से बैंकों में हड़ताल
सरकारी बैंकों के कुछ कर्मचारी 8 और 9 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा लेंगे. उन्होंने सरकार की कथित कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर प्रस्तावित हड़ताल के समर्थन में यह निर्णय लिया है. आईडीबीआई बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने बंबई शेयर बाजार को बताया है कि ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) ने 8 और 9 जनवरी के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बारे में इंडियन बैंक एसोसिएशन को सूचित किया है.