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गणतंत्र दिवस के दौरान हमले की फिराक में आतंकी, 'लोन वुल्फ' हमले की आशंका के बाद कड़े हुए सुरक्षा इं

मेल टुडे ने खुफिया एजेंसियों के पुख्ता सूत्रों का हवाला देते हुए लिखा है कि दहशत की इस साजिश को हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन और अल कायदा इन सब-कॉन्टिनेंट (AQIS) मिलकर अंजाम दे सकते हैं.

रिपब्लिक डे के दौरान 'लोन वुल्फ' अटैक का खतरा रिपब्लिक डे के दौरान 'लोन वुल्फ' अटैक का खतरा
संदीप कुमार सिंह
  • दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

रिपब्लिक डे से पहले देश पर आतंकी साया मंडरा रहा है. मेल टुडे में छपी खबर के मुताबिक आतंकी गणतंत्र दिवस उत्सव में खलल डालने के लिए किसी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं.

खबर के मुताबिक ये हमला यूरोप में आतंकी संगठन ISIS के हालिया हमलों की तर्ज पर 'लोन वुल्फ' अटैक हो सकता है. इस तरह के हमलों को अक्सर एक आतंकी बिना किसी टीम की मदद लिए बगैर अंजाम देता है.

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कई आतंकी संगठनों की साजिश
मेल टुडे ने खुफिया एजेंसियों के पुख्ता सूत्रों का हवाला देते हुए लिखा है कि दहशत की इस साजिश को हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन और अल कायदा इन सब-कॉन्टिनेंट (AQIS) मिलकर अंजाम दे सकते हैं. सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की जानकारी मिली है कि इन संगठनों का इरादा देश के अलग-अलग हिस्सों में एक साथ इस तरह के हमले करने का है. कुछ इनपुट्स खुलासा करते हैं कि संसद भवन भी आतंकियों के रडार पर है.

मेल टुडे के एक सूत्र के मुताबिक, 'आतंकी पिछले साल फ्रांस के नीस शहर में हुए हमले की तर्ज पर किसी ट्रक को भीड़ पर चढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं.'

पुख्ता हुई सुरक्षा
इस तरह की सूचनाओं के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी बढ़ा दी है. भीड़ वाले इलाकों में भारी वाहनों पर खास नजर रखी जा रही है. 26 जनवरी से 2-3 तीन दिन पहले संवेदनशील जगहों पर ऐसे वाहनों की एंट्री बैन की जा सकती है. हाल ही में एनआईए ने केरल में ISIS के एक ऐसे सेल का भंडाफोड़ किया था जो केरल में इसी तरह के हमले की साजिश कर रहा था. बाद में पता चला कि ISIS के करीब 30 आतंकी सोशल मीडिया के जरिये देशभर से लोगों को इस संगठन में शामिल करने की कोशिश में थे.

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नोटबंदी ने तोड़ी आतंक की कमर
सुरक्षा विशेषज्ञों की राय में नोटबंदी के बाद आतंकियों के लिए फंड जुटाना कठिन हो रहा है. इसीके चलते वो अब बदली हुई रणनीति के तहत हमला कर सकते हैं. आतंकी संगठन अब स्लीपर सेल के लिए नए करेंसी नोट के इस्तेमाल के रास्ते तलाश रहे हैं.

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