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जानें क्या होता है 'ब्लैक वारंट', जिससे कोर्ट देता है मुजरिम को मृत्युदंड

दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए जब तक उसकी मौत न हो जाए. यह वाक्यांश क्रिमिनल प्रोसीजर के फॉर्म नंबर 42 पर छपे तीन वाक्यों के दूसरे भाग का हिस्सा है, जिसे ब्लैक वारंट के नाम से जाना जाता है.

ब्लैक वारंट ब्लैक वारंट
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

  • दोषी को मौत की सजा दिए के लिए जेल में भेजा जाता है ब्लैक वारंट
  • जज के सिग्नेचर वाले वारंट में दर्ज होता है फांसी का समय और स्थान

दोषी को 'तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए'. यह वाक्यांश क्रिमिनल प्रोसीजर के फॉर्म नंबर 42 पर छपे तीन वाक्यों के दूसरे भाग का हिस्सा है, जिसे ब्लैक वारंट के नाम से जाना जाता है. दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का फॉर्म नंबर 42 असल में, दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश है, जिसे मौत की सजा सुनाई गई है. .

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यदि निर्भया रेप और मर्डर मामले में दोषी पाए गए चारों अभियुक्तों को अदालतों या राष्ट्रपति से राहत नहीं मिलती है तो उन्हें फांसी पर लटकाने के लिए इसी फॉर्म नंबर 42 यानी ब्लैक वारंट का इस्तेमाल किया जाएगा. बता दें कि चार दोषियों में एक ने राष्ट्रपति से दया की मांग की है जबकि एक अन्य दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मौत की सजा पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

ब्लैक वारंट दंड प्रक्रिया संहिता में फॉर्म्स की एक सूची का हिस्सा है. जिस पर किसी अपराध की जांच, साक्ष्य एकत्र करने, निर्दोषता का निर्धारण करने या अभियुक्तों को अपराधी ठहराने और उन्हे दंडित करने की प्रक्रिया का विवरण होता है. दंड प्रक्रिया संहिता में ब्लैक वारंट 42वां फॉर्म होता है जिसे 'वारंट ऑफ एक्ज़ीक्युशन ऑफ़ ए सेंटेंस ऑफ डेथ' कहा जाता है.

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क्या होता है ब्लैक वारंट में

ब्लैक वारंट उस जेल प्रभारी को संबोधित करते हुए भेजा जाता है, जहां दोषी को कैद करके रखा गया होता है. इसके बाद दोषी का नाम होता है जिसे मौत की सजा सुनाई गई है. ब्लैक वारंट में कोर्ट की ओर से दी गई मौत की सजा की पुष्टि भी होती है. ब्लैक वारंट में दोषी का नाम दर्ज होता है और यह भी लिखा होता है कि दोषी को 'तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए'. इस वारंट में दोषी को फांसी देने के समय और स्थान का भी बकायदा जिक्र होता है. साथ ही ब्लैक वारंट में ट्रायल कोर्ट के उस जज का सिग्नेचर भी होता है, जिसने मौत की सजा सुनाई होती है.

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