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...और ये पेट में जहर लिए घूमते हैं

क्या कोई शख्स जहर से पेट भरकर भी जिंदा रह सकता है? जहर भी ऐसा, जिसका कतरा भर हिस्सा ही मौत के लिए काफी हो. बात नामुमकिन लगती है. लेकिन जुर्म की काली दुनिया में एक गली ऐसी भी है, जहां ये मुमकिन है. दुनिया भर में ड्रग तस्करी के लिए बदनाम सॉलोअर्स की जिंदगी का ये तिलिस्म वाकई उलझाने वाला है.

आज तक ब्‍यूरो
  • नई दिल्‍ली,
  • 01 जून 2014,
  • अपडेटेड 8:09 AM IST

क्या कोई शख्स जहर से पेट भरकर भी जिंदा रह सकता है? जहर भी ऐसा, जिसका कतरा भर हिस्सा ही मौत के लिए काफी हो. बात नामुमकिन लगती है. लेकिन जुर्म की काली दुनिया में एक गली ऐसी भी है, जहां ये मुमकिन है. दुनिया भर में ड्रग तस्करी के लिए बदनाम सॉलोअर्स की जिंदगी का ये तिलिस्म वाकई उलझाने वाला है. एक ऐसा तिलिस्म, इंसान जिसके जितने करीब आता है, उतना ही उलझता जाता है.

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सॉलोइंग के जरिए तस्करी करनेवाले लोग आज पूरी दुनिया के साथ-साथ हिन्‍दुस्तान के लिए भी एक बड़ी चुनौती है. ये वो लोग हैं जो अक्सर तस्करी कर लाई जानेवाली किसी की कीमती चीज की खेप निगल कर अपने पेट में छुपा लेते हैं और फिर सुरक्षा जांच से बच निकलने के बाद इसी निगली हुई चीज की मुंहमांगी कीमत वसूलते हैं. हकीकत ये है कि आज भी हमारे देश में बिकनेवाली कोकीन की 50 फीसदी से ज्‍यादा हिस्सा सॉलोअरों के जरिए ही हिन्‍दुस्तान लाई जाती है.

इन सॉलोअर्स की दुनिया भी अजीब है. दुनियाभर में ड्रग की तस्करी के लिए सॉलोअर्स जानबूझ कर अपने हलक के नीचे इतना जहर उतार लेते हैं, जितना इंसान धोखे से भी नहीं खा सकता. लेकिन कमाल देखिए, इसके बावजूद वो ना सिर्फ जिंदा रहते हैं, बल्कि पेट में भरे इन जहर की बदौलत कानून को धोखा देकर लाखों कमाते हैं. आखि‍र कैसे होता है ये सब?

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दुनिया भर के एयरपोर्ट्स और बॉर्डर्स पर नामालूम कितने ही सुरक्षा जांच से गुजर कर हर रोज लाखों लोग अपनी मंजि‍लों तक पहुंचते हैं, लेकिन ऐसे शातिर लोगों की भी इस दुनिया में कोई कमी नहीं, जो ऐसे तमाम सुरक्षा इंतजामों को धत्ता बता कर वो सबकुछ कर गुजरते हैं, जिन्हें कानून की निगाह में गलत या गैरकानूनी कहा जाता है. सॉलोअर्स इन्हीं लोगों में शुमार हैं.

दरअसल, कस्टम और पुलिस की निगाह से बचने के लिए ये सॉलोअर्स अक्सर ड्रग्स और सोने जैसी कीमती चीजें अपने पेट में भर लेते हैं और अपने ठिकाने तक पहुंचने के बाद उन्हें पेट से निकालकर खुले बाजार में बेच कर मोटी कमाई करते हैं. हाल के दिनों में दिल्ली पुलिस ने ऐसे कई सॉलोअर्स को पकड़ा है, जो कानून की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे थे, जबकि कई पेट में ड्रग्स के पैकेट फट जाने की वजह से मौत के मुंह में समा गए.

आमतौर पर हिन्‍दुस्तान में सॉलोअर्स अपने पेट में कोकीन छिपा कर पहुंचते हैं. क्योंकि कोकीन हिन्‍दुस्तान में नहीं मिलता. जबकि साउथ अफ्रीका समेत दुनिया के कुछ खास हिस्सों में पैदा होने वाले कोका प्लांट से बनाए जाने वाले इस ड्रग्स की हिन्‍दुस्तान की हाई प्रोफाइल सोसाइटी में बड़ी मांग है. और इसी मांग को देखते हुए अक्सर सॉलोअर अपने पेट में कोकीन छिपा कर यहां ले आते हैं.

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आमतौर पर सॉलोअर्स इन कोकीन को कंडोम की थैलियों में पैक कर निगल लेते हैं और चुपके से हिन्‍दुस्तान में दाखिल हो जाते हैं. फिर सुरक्षित ठिकाने पर पहुंच कर ये थैलियों में बंद कोकीन निकाल कर उन्हें बेच दिया जाता है. कई बार सॉलोअर प्लास्टिक या रबर के छोटे-छोटे कैप्सुल बना कर उन्हें किसी ऑयली चीज के सहारे निगल लेते हैं और इस तरह तस्करी का काम पूरा होता है.

पिछले दिनों एक ऐसे सॉलोअर का राज दुनिया के सामने खुल गया, जो पेट में सोने के बिस्कुट छिपा कर उन्हें हिन्‍दुस्तान लेकर पहुंचा था. इस सॉलोअर को पेट में ज़्यादा सोना होने की वजह से तेज दर्द की शिकायत हुई और उसे गंगा राम अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. लेकिन यहां जैसे ही डॉक्टरों ने उसके पेट का एक्सरे किया, सारी बात साफ हो गई. इसके बाद एक ऑपरेशन से उसकी जान तो बच गई, लेकिन वो पुलिस के जाल से नहीं बच सका.

कोकीन के उलट हिन्‍दुस्तान से हेरोइन, एफीड्रिन, शूडो एफीड्रिन और चरस जैसे ड्रग्स बाहर तस्करी के जरिए भेजे जाते हैं. लेकिन कोकीन की तरह बेहद महंगा नहीं होने की वजह से इन ड्रग्स की तस्करी के लिए सॉलोअर्स की जरूरत नहीं पड़ती. और अक्सर तस्कर ऐसे ड्रग्स कभी जूते-चप्पलों में, कभी किसी बैग में, मूर्ति में या औजारों में छिपाकर ले जाते हैं. खासकर बड़ी खेप की तस्करी के लिए कई बार हैवी मशीनरी का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मशीन के वजन में 10-20 किलो ड्रग्स भी आसानी से खपाया जा सके.

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दिल्ली देश की नई ड्रग कैपिटल है. बीते कुछ सालों में जितनी ड्रग्स दिल्ली में बरामद हुई है, उतनी मुल्क के और किसी हिस्से में नहीं हुई. लेकिन इससे भी ज्‍यादा चौंकानेवाली बात ये है कि दिल्ली में विदेश से आनेवाली जितनी कोकीन खपा दी जाती है, उसका तकरीबन 50 फीसदी हिस्सा इन सॉलोअर्स के पेट से होकर ही नशेबाजों तक पहुंचता है.

पिछले चार सालों में सबसे ज्‍यादा ड्रग्स आखिर के दो सालों में बरामद हुए हैं और इनमें भी सबसे ज्‍यादा मात्रा में कोकीन 2012 और 13 में पकड़ी गई. दिल्ली पुलिस ने 2010 में जहां 108 ग्राम कोकीन पकड़ी थी, वहीं 2011 में 728 ग्राम. जबकि 2012 में 2 किलो 783 ग्राम और पिछले साल यानी 2013 में 2 किलो 622 ग्राम कोकीन जब्त हुई. इसी के साथ पुलिस ने 100 कोकीन के कैप्सुल भी पकड़े.

पुलिस सूत्रों की मानें तो इनमें से ज्‍यादातर कोकीन की खेप सॉलोअर्स से ही बरामद की गई. जो इस कोकीन को अफ्रीकी देशों से लेकर यहां पहुंचे थे. जुर्म की दुनिया में कभी सॉलोइंग को भी एक आर्ट यानी हुनर के नजरिए से देखा जाता था. लेकिन हर पल मौत के साए में रहने वाले इन ज़्यादातर सॉलोअर की तकदीर कभी नहीं पलटी. इंटरनेशनल ड्रग डीलर अक्सर मोटी कमाई का लालच देकर इनसे बेहद जोखिम भरा काम करवाते रहे, लेकिन अंत में धोखा ही इनके हाथ लगता. यही वजह है कि हाल के दिनों में कई ऐसे सॉलोअर पुलिस के हाथ लगे, जिन्होंने सॉलोइंग के साथ-साथ खुद ही ड्रग डिलिंग का काम भी शुरू कर दिया था.

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बहरहाल, अब सॉलोअर्स की परेशानी से बचने के लिए कई इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स पर बैगेज स्कैनिंग के साथ-साथ अलग से बॉडी स्कैनिंग की मशीन भी लगाई जाने लगी हैं. लेकिन अब भी हमारे देश में ऐसे स्कैनर्स नहीं के बराबर हैं, जहां जिस्म के अंदर छिपे नॉन मेटलिग सबस्टैंस यानी ड्रग्स जैसी चीजों को आसानी से डिटेक्ट कर सकते हैं.

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