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नीतीश के हाथ लगा मोदी का तुरुप का इक्का, इसलिए मिली जीत

नीतीश की इस जीत के पीछे वही चेहरा है, जिसने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया. लोकसभा चुनाव में मोदी के प्रचार अभियान की कमान प्रशांत ने ही संभाली थी. इसके बाद दिसंबर 2014 में नीतीश के साथ जुड़ गए थे.

नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर
विकास वशिष्ठ
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2015,
  • अपडेटेड 1:02 PM IST

तुरुप का ये इक्का कभी नरेंद्र मोदी के पास हुआ करता था. कभी उनके लिए नारे लिखा करता था. लेकिन अब नीतीश कुमार के पास है. दुनिया इसे प्रशांत किशोर के नाम से जानती है और अब नीतीश की जीत के साथ ही यह चुनावी अभियान का आर्किटेक्ट कहा जाने लगा है.

जिसने 'अबकी बार मोदी सरकार' बनवाई, उसी प्रशांत ने 'फिर एक बार नीतीश कुमार' को सत्ता तक पहुंचाया. नीतीश की जीत के रुझानों के साथ ही यह नारा बदल भी दिया. अब पटना की सड़कों पर पोस्टर लगे हैं- हां भैया, बिहार में बहार है, फिर एक बार Mr. Kumar है.

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सियासों दलों का एकही जोर, प्रशांत किशोर प्रशांत किशोर
कहा जाता है कि 25 साल बाद अगर लालू और नीतीश साथ आए तो इन्हीं की वजह से. जून में नीतीश ने लालू के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. प्रशांत ने ही इसकी सलाह दी थी. प्रशांत ने दिसंबर 2014 में नीतीश के चुनावी अभियान की कमान संभाली थी.

यह रही अभियान की रणनीति
राजनीतिक पार्टियां डोर टू डोर कैंपेनिंग करती रही हैं. लेकिन प्रशांत ने इसमें कुछ चीजें जोड़ दीं. पार्टी कार्यकर्ता जब किसी दरवाजे पर जाते तो नीतीश की लिखी चिट्ठी उनके हाथ में होती. वे लोगों से एक मोबाइल नंबर पर मिस कॉल करवाते और बदले में उन्हें नीतीश का रिकॉर्डेड मैसेज आता.

पोस्टर के रंगों तक का चुनाव
बिहार की सड़कों पर नीतीश के जो पोस्टर लगाए गए उनके रंगों का चयन भी रणनीति का हिस्सा था. मोदी के भगवा रंगों के पोस्टर के साथ नीतीश के पीले रंग के पोस्टरों का इस्तेमाल किया. क्योंकि पीला रंग अलग ही चमकता है, लेकिन चुभता नहीं है.

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