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जब ढह सकती है बर्लिन की दीवार तो भारत-पाक के बीच नफरत क्यों- हरसिमरत कौर

भारत की केंद्रीय मंत्री हरस‍िमरत कौर बादल ने पाक‍िस्तान और भारत के आलाकमानों को अपनी भावनाएं जाहिर करते हुए कहा क‍ि  जब बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो भारत-पाकिस्तान के बीच की नफरत क्यों नहीं दूर हो सकती है.

हरसिमरत कौर बादल (Photo:ANI) हरसिमरत कौर बादल (Photo:ANI)
श्याम सुंदर गोयल
  • इस्लामाबाद,
  • 28 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:30 PM IST

पाक‍िस्तानी ह‍िस्से में करतारपुर साहिब कॉरिडोर की आधारशिला बुधवार को रखी गई. हरसिमरत कौर बादल ने इस कार्यक्रम में कहा कि आज हमारी कौम के लिए ऐतिहासिक दिन है, हर सिख की यही मांग थी. जो 70 साल नहीं हो पाया, वो अब पूरा हुआ है. जिसके हाथ में सेवा लिखी थी, उसी के हाथों ये काम पूरा हुआ है. गुरु नानक साहब ने अपना आखिरी समय आपकी धरती पर बिताया, लेकिन 4 किमी का ये फासला पूरा करने में 70 साल लग गए.

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हरस‍िमरत कौर ने भावुक होते हुए कहा क‍ि यहां मेरा कोई दोस्त, कोई जानने वाला नहीं लेकिन एक सिख होने के नाते मेरी अरदास पूरी हुई है. हमारी पार्टी 7 महीने से इस मांग को पूरा करने में लगी थी. हमारी कैबिनेट ने इसका फैसला लिया और आज ये सपना पूरा हो रहा है.

जब बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो भारत-पाकिस्तान के बीच की नफरत क्यों

हरस‍िमरत ने पाक‍िस्तान और भारत के आलाकमानों को अपनी भावनाएं जाहिर करते हुए कहा क‍ि  जब बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो भारत-पाकिस्तान के बीच की नफरत क्यों नहीं दूर हो सकती है. पाकिस्तान के हुक्मरानों से अपील करते हुए कहा क‍ि आप भी गुरु नानक साहब के नाम पर सिक्का चलाएं, धार्मिक स्थलों के लिए ट्रेन चलाएं और करतारपुर का विकास करें.

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गौरतलब है क‍ि पाकिस्तान में बुधवार को करतारपुर साहिब कॉरिडोर की आधारशिला रखी गई. भारत की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल इस कार्यक्रम में मौजूद रहे. पाकिस्तान के  प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को कॉरिडोर का शिलान्यास किया. केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और हरदीप पुरी ने अटारी-वाघा सीमा को पार किया और कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे. पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कमर जावेद बाजवा भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे.

बता दें कि गुरू नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष इसी करतारपुर साहिब गुरुद्वारे में बिताए थे. एलओसी से करीबन साढ़े तीन किलोमीटर दूर सिखों के लिए यह आस्था का बड़ा केंद्र है. दोनों देशों के बीच तनाव के चलते इस गलियारे को अब तक नहीं खोला जा सका था.

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