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लड़ाकू विमान राफेल का सौदा फिर अटक गया है. फ्रांस सरकार ने भारत की मांग खारिज कर दी है. सरकार ने डील का 50 फीसदी हिस्सा भारत में निवेश करने, रफाल को इजरायली टेक्नोलॉजी से लैस करने और दो बेस स्थापित करने की मांग रखी थी. फ्रांस ने इसे यह कहते हुए नकार दिया कि इससे लागत बढ़ जाएगी. रक्षा सूत्रों के मुताबिक फ्रांस ने इसका दो टूक जवाब दिया है. उसने कहा है कि यह कार के टायर बदलने जैसा नहीं है. इसमें वक्त और पैसा लगता है और इसे करने बैठे तो फिर लागत बढ़ जाएगी.
मेक इन इंडिया पर राजी फ्रांस
हालांकि फ्रांस सरकार ने मेक इंडिया प्रोजेक्ट के तहत भारत में विमान बनाने पर सहमति दी है, ताकि 36 विमान जल्द से जल्द दिए जा सकें. भारत ने फ्रांस से 126 विमान खरीदने का सौदा किया था.
भारत ने इसलिए रखी ऐसी मांग
2005 में यूपीए सरकार ने डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर बनाया था. इसके तहत यदि कोई भी विदेशी कंपनी भारत सरकार से सौदा करती है तो डील का आधा उसे वापस भारत में निवेश करना जरूरी है. इसे ऑफसेट क्लॉज कहा जाता है.
मांग ठुकराने पर फ्रांस का यह तर्क
फ्रांस का कहना है कि भारत सरकार ने 126 विमानों का सौदा किया था. लेकिन अब 36 विमान तो सीधे ही खरीदे जाएंगे. फिर हम विमान भी पहले वाली कीमत पर ही दे रहे हैं. इसलिए डील का 50 फीसदी निवेश नहीं किया जा सकता.
लेकिन फ्रांस को इससे भी है दिक्कत
फ्रांस की परेशानी सिर्फ निवेश नहीं है. भारत चाहता है कि वह टेक्नोलॉजी भी दे. साथ ही रफाल विमानों में इजरायली हेलमेट डिस्प्ले भी जोड़े, ताकि रफाल जो मिसाइलें ले जाने में सक्षम है उनके अलावा दूसरी मिसाइल भी छोड़ी जा सकें.