
हिमालय के चरणों में मौजूद बिजनौर जिले से ही गंगा की अविरल धारा उत्तर प्रदेश की सीमा में दाखिल होती है. यही वजह थी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने ‘गंगा द्वार’ नाम से मशहूर बिजनौर जिले को अपनी महत्वाकांक्षी गंगा यात्रा के लिए चुना.
बिजनौर को जहां एक ओर महाराजा दुष्यंत, ऋषि कण्व और महात्मा विदुर की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है वहीं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. आत्माराम और भारत के प्रथम इंजीनियर राजा ज्वालाप्रसाद की भी यह कर्मभूमि रही है. कालिदास का जन्म भले ही कहीं हुआ हो लेकिन उन्होंने इस जनपद में बहने वाली मालिनी नदी को अपने प्रसिद्ध नाटक ‘अभिज्ञानशाकुंतलम’ का आधार बनाया था.
गंगा को अविरल और निर्मल बनाने का अभियान बिजनौर से शुरू करने के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भावनाएं भी जुड़ी थीं. गणतंत्र दिवस के अगले दिन 27 जनवरी को बिजनौर में 65 किलोमीटर की लंबाई में फैली गंगा अपने किनारे शुरू होने वाली अभूतपूर्व ‘गंगा यात्रा’ का गवाह बन रही थी.
बिजनौर जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर उत्तराखंड, बिजनौर, मेरठ और मुजफ्फरनगर की सीमा पर बने मध्य गंगा बैराज की तरफ जाने वाली हर सडक़ सजी-धजी थी. सडक़ों के किनारे लगी होर्डिंगों में लिखे हुए ‘देश धर्म का नाता है, गंगा हमारी माता है’, ‘युगो-युगो से नाता है, गंगा हमारी माता है’, ‘पवित्रता इसकी पहचान है, कुंभ इसकी शान है’., ‘गंगा देश का मान बढ़ाती, दुनिया में पहचान दिलाती’ जैसे नारे गंगा की महत्ता का बखान कर रहे थे.
आधिकारिक रूप से बिजनौर के गंगा घाट से गंगा यात्रा की शुरुआत 27 जनवरी की सुबह 11.30 पर ही हो जानी थी लेकिन कोहरे और सूरज के बीच चल रहे द्वंद्व ने मौसम बिगाड़ रखा था. भारी पड़ते कोहरे गंगा यात्रा को दो घंटे के लिए आगे खिसका दिया था. कार्यक्रम को लेकर शंकाएं बढ़ती जा रही थीं कि इसी बीच दोपहर ठीक 12 बजकर सात मिनट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ का हेलीकॉप्टर कोहरे को चीरता हुआ गंगा के ठीक ऊपर दिखाई दिया.
हाड़ कंपाती ठंड में घंटों इंतजार कर रहे लोगों को हेलीकॉप्टर की गडग़ड़ाहट ने अचानक ऊर्जा से भर दिया. घंटे-घडिय़ाल बजने लगे. बैराज पर मौजूद घाट पर गुरुकुल के बच्चे एक स्वर में मंत्रोच्चार करने लगे. बैराज के किनारे बने सभा स्थल के बगल में मौजूद हेलीपैड पर योगी आदित्यनाथ का हेलीकॉप्टर उतरा.
योगी ने कुछ देर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का इंतजार किया. जब यह तय हो गया कि खराब मौसम के कारण उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यक्रम में नहीं आ पाएंगे तो योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के साथ घाट पर पहुंचे. हरिद्वार से आये पुरोहितों ने मंत्रोच्चार के बीच गंगा की पूजा-अर्चना कराई. शंख ध्वनि के बीच योगी आदित्यनाथ ने गंगाजल का आचमन कर गंगा को दूध चढ़ाया और आरती की. इसी के साथ गंगा यात्रा का शुभारंभ हुआ.
पौराणिक काल में कभी राजा भगीरथ के प्रयत्नों से धरती पर आई गंगा ने उनके पुरखों का उद्धार किया था. उन्हीं भगवती गंगा के जल को कमंडल (पात्र ) में लेकर योगी आदित्यनाथ ने गंगा के किनारे 1358 किलोमीटर में बसे 27 जिलों, 21 नगर निकाय, 1038 ग्राम पंचायतों के उद्धार का अभियान शुरू किया.
जिस समय बिजनौर से गंगा यात्रा की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की उससे कुछ देर पहले उत्तर प्रदेश के दूसरे छोर पर बलिया जिले के गोपालपुर गांव से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने गंगा यात्रा की शुरुआत की. पश्चिम से शुरू हुई गंगा यात्रा मेरठ, बुलंदशहर, फर्रुखाबाद होते हुए 31 जनवरी को कानपुर पहुंचेगी.
पूर्वांचल से यात्रा बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, प्रयागराज होते हुए 31 जनवरी को कानपुर आएगी. कानपुर में दोनों यात्राओं के मिलन के साथ गंगा यात्रा का समापन भी होगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा यात्रा के बहाने इस नदी के किनारे बसने वाले जिलो में विकास की एक बड़ी योजना की शुरुआत की है. योगी आदित्यनाथ कहते हैं ‘मां गंगा देश के पांच राज्यों में 2525 किमी. की यात्रा तय करती है. इसमें 1025 किमी. की सबसे ज्यादा दूरी उत्तर प्रदेश में तय करती है. इसलिए स्वाभाविक रूप से इसकी स्वच्छता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हमारी है. इसे देखते हुए हुए प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के अंदर मां गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिए कई कदम उठाए हैं.’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बताते हैं कि कानपुर के सीसामऊ नाले में प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर गिरता था. 128 वर्षों से यह सिलसिला चला आ रहा था. नमामि गंगे परियोजना के तहत आज एक बूंद भी सीवर गंगा में नहीं बह रहा है. योगी आदित्यनाथ कहते हैं ‘एक वक्त था जब कानपुर में जाजमाऊ के बाद एक भी जलीय जीव नहीं बचे थे. नमामि गंगे परियोजना का परिणाम है कि आज वहां बड़ी-बड़ी मछलियां पाई जा रही हैं.’
असल में गंगा को निर्मल बनाने की योजना दिसंबर, 2017 को वृहद रूप में सामने आई थी जब प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रयागराज में कुंभ के आयोजन की तैयारियां शुरू की थीं.
प्रयागराज कुंभ के दौरान दिसंबर, 2018 से कुल 155 नालों की सफाई का अभियान शुरू किया गया. प्रयागराज में 175 किलोमीटर लंबे सीवेज नेटवर्क समेत कई परियोजनाओं की शुरुआत हुई जिनसे 7.8 करोड़ लीटर सीवेज सलोरी, कोडरा और पोनघाट के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचने लगा. पहले यह सीवेज गंगा के पानी में मिल जाता था. उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य बताते हैं ‘एक नगर-एक संचालक योजना के तहत गंगा क्षेत्र में पीपीपी मोड पर साढ़े सात सौ करोड़ रुपए की लागत वाली दो परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी गई जिनमें सीवेज नेटवर्क का मिलान, दिशा परिवर्तन, 7 सीवेज पंपिंग स्टेशन और 72 एमएलडी क्षमता के तीन एसटीपी बनाये जा रहे हैं जिससे प्रयागराज में गंगा की निर्मलता को चार चांद लगेंगे.’
गंगा यात्रा को सफल बनाने के लिए जलशक्ति विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है.
गंगा यात्रा से इस तरह बदलेगी सूरत
ओडीएफ प्लस
गंगा के किनारे पडऩे वाले सभी नगर निकायों में ‘ओडीएफ प्लस’ के लक्ष्य को पूरा करने की जिम्मेदारी नगर विकास को दी गई है. गंगा में किसी भी प्रकार का सीवेज न गिरे और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था भी नगर विकास विभाग करेगा. इसी प्रकार ग्राम्य विकास विभाग गंगा के किनारे वाले सभी 1026 ग्राम पंचायतों में ओडीएफ प्लस के लक्ष्य को पूरा कराएगा.
गंगा पार्क
नगर निकायों के तहत गंगा तट के किनारे उचित स्थल को चिन्हित कर वहां पर नगर विकास विभाग ‘गंगा पार्क’ बनाएगा. यहां पर लोगों के लिए मार्निंग वाक और ओपेन जिम की सुविधा होगी. गंगा के किनारे सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास विभाग खेलकूद के लिए गंगा मैदान का निर्माण कराएगा.
गंगा तालाब
ग्राम्य विकास विभाग गंगा के किनारे वाले हर गांव में जल संरक्षण के लिए गंगा तालाब की स्थापना करेगा. इन गावों में खराब हैंडपंप को ठीक कराने का अभियान चलाने के साथ पॉलीथिन के पूर्ण प्रतिबंध की ओर भी कार्य होगा.
गंगा आरती
गंगा के किनारे बसे गांवों में गंगा आरती के लिए स्थान चिन्हित किए जाएंगे. यहां जन सहभागिता के जरिए गंगा आरती और विभिन्न प्रकार के धार्मिक सांस्कृतिक एवं पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों के आयोजन का जिम्मा पर्यटन विभाग संभालेगा.
गंगा नर्सरी
गंगा के किनारे फलदार वृक्षों के लिए हर जिले में एक गंगा नर्सरी की स्थापना होगी. उद्यान विभाग गंगा नदी के दोनों तटों पर बाढ़ क्षेत्र को छोडक़र 500 मीटर के दायरे में फलदार वृक्षों को बढ़ावा देने के लिए गंगा उद्यान तैयार करेगा. किसानों को फलदार पेड़ लगाने के लिए नि:शुल्क पौध उपलब्ध कराया जाएगा.
श्मशान घाट
गंगा के किनारे अनाधिकृत ढंग से शवदाह को रोकने के लिए नगर विकास विभाग सभी तटवर्ती क्षेत्रों में एक स्थान चिन्हित कर वहां श्मशान घाट या शवदाह गृह का निर्माण कराएगा. यहां पर पूरे विधिविधान से अंत्येष्टिï की जा सकेगी.
ग्रामीण स्टेडियम
खेलकूद एवं युवा कल्याण विभाग गंगा नदी के किनारे बसे नगर निकायों और ग्राम पंचायतों में खेलकुद की उचित व्यवस्था के साथ ग्रामीण स्टेडियम का निर्माण कराएगा. ‘खेलो इंडिया खेलो कार्यक्रम’ के तहत खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा.
जीरो बजट खेती
गंगा के किनारे सभी ग्राम पंचायतों में कृषि विभाग जीरे बजट खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना बनाएगा. गंगा के किनारे मौजूद गांवों में कृषि गोष्ठी का आयोजन होगा जिसमें नई तकनीकी, अधिक उपज वाली फसल और आर्गेनिक खेती की पद्घति का प्रचार प्रसार किया जाएगा.
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