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नेपाल में 7.9 तीव्रता का भूकंप 3300 से ज्यादा जानें ले चुका है, लेकिन जानकारों की मानें तो इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है. नेपाल में जो भूकंप आया वह इलाके में आने वाला 'ग्रेट हिमालयन भूकंप' नहीं था.
नामी पर्यावरण पत्रिका 'डाउन टू अर्थ' ने अमेरिका यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलोरैडो बोल्डर के जियोलॉजिस्ट रोजर बिलहाम के हवाले से लिखा है, '25 अप्रैल को आए 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप ने काफी तबाही मचाई है. लेकिन यह अपेक्षित ग्रेट हिमालयन भूकंप नहीं था. यह हिमालयन रीजन में आने वाले 'ग्रेट अर्थक्वेक' की परिभाषा पर फिट नहीं बैठता जो 8 की तीव्रता से ज्यादा होता है.'
'पर नहीं रिलीज हुई पर्याप्त एनजी'
हिमालयी इलाके में सीस्मिक गतिविधियों का अध्ययन करने वाले आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर शंकर कुमार नाथ तो इसे और खतरनाक तरीके से देखते हैं. उनके मुताबिक, 'एनर्जी रिलीज होने के लिहाज से देखें तो इस भूकंप को मध्यम दर्जे का ही माना जाएगा. वह इलाका जो हिंदुकुश क्षेत्र से अरुणाचल प्रदेश तक 2500 किलोमीटर में फैला हुआ है, वह और भी शक्तिशाली भूकंप पैदा करता है, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9 तक हो सकती है.'
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर आप इस तरह से देखें तो हम भाग्यशाली रहे कि सिर्फ 7.9 तीव्रता का भूकंप आया. लेकिन दिक्कत यह है कि एनर्जी रिलीज होने के मामले में यह बहुत कम है. 9 तीव्रता वाला भूकंप जितनी एनर्जी रिलीज करेगा, उसकी बराबरी के लिए 7.9 तीव्रता के 40-50 भूकंपों की जरूरत होगी.