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चुनावी समर में बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से जुड़ा बड़ा खुलासा हुआ है. एक मैगजीन का दावा है कि मोदी के वडोदरा से नामांकन के बाद उनकी पत्नी जशोदाबेन को गुजरात से हटाकर ऋषिकेश स्थित बाबा रामदेव के आश्रम में शिफ्ट कर दिया गया. यह सनसनीखेज खुलासा किया है अंग्रेजी मैगजीन 'द वीक' ने.
मोदी की पत्नी से जुड़े इस खुलासे को मैगजीन के ताजा अंक में कवर स्टोरी के तौर पर जगह दी गई है. मैगजीन का यह अंक 27 अप्रैल को बाजार में आएगा.
मैगजीन ने चश्मदीदों के हवाले से दावा किया है कि मोदी ने नामांकन के तुरंत बाद कुछ लोग जशोदाबेन के घर भेज दिए, ताकि उन्हें मीडिया की नजरों से दूर रखा जा सके. मैगजीन ने विश्व हिंदू परिषद के सूत्रों के हवाले से कहा है कि नामांकन के तुरंत बाद विहिप के कुछ कार्यकर्ता और सुरक्षाकर्मी तीर्थयात्रियों के वेश में तीन सफेद एसयूवी में सवार होकर जशोदाबेन के घर पहुंचे थे.
जशोदाबेन के घर पहुंचे इन लोगों ने उनसे कहा कि चार धाम की यात्रा करने का उनका सपना पूरा होने वाला है और वो 17 मई को ही लौट सकेंगी. गौरतलब है कि 16 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, ये लोग जशोदाबेन को अहमदाबाद ले गए, जहां से उन्हें एक चार्टड प्लेन के जरिये यूपी और उत्तराखंड की सीमा पर औरंगाबाद ले जाया गया. इसके बाद वो ऋषिकेश स्थित रामदेव के आश्रम चली गईं. आश्रम में काम करने वाले लोगों का कहना है कि 13 अप्रैल को एक महिला सफेद गाड़ी में सवार होकर आई थी.
शंकराचार्य के करीबी ने खोली पोल
मैगजीन के मुताबिक, जशोदाबेन की सुरक्षा में गुजरात सिक्युरिटी सर्विसेज के आला अधिकारी थे. शायद उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके साथ मौजूद ये लोग तीर्थयात्री नहीं हैं, बल्कि उन्हें लोगों की नजरों से जशोदाबेन को दूर ले जाने के लिए तैनात किया गया है. मैगजीन के मुताबिक, यह जानकारी द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के एक करीबी ने दी है. सरस्वती ने हाल में ही मोदी के खिलाफ बयान दिया था.
बीते नौ अप्रैल को मोदी ने वडोदरा से लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करते समय पहली बार 'वैवाहिक स्थिति' वाले कॉलम में खुद को विवाहित लिखा. इससे पहले, वो यह कॉलम खाली छोड़ दिया करते थे. मोदी के इस कबूलनामे को लेकर खासा सियासी बवाल हुआ था.
इसलिए जशोदाबेन के पास नहीं जाते मोदी के विरोधी
मैगजीन के मुताबिक, इतने सारे विवादों के बावजूद ऐसा लगता है कि मोदी की विरोधी पार्टियां जशोदाबेन तक पहुंचना नहीं चाहतीं. इसकी एक वजह यह है कि इन पार्टियों को डर है कि कहीं जशोदाबेन खुलकर मोदी के पक्ष में न आ जाएं. जशोदाबेन की रिश्तेदार दक्षा मोदी का कहना है कि जशोदाबेन मोदी को रोजाना टीवी पर देखती हैं और प्रार्थना करती हैं कि वह पीएम बनें. दक्षा को इस बात का भरोसा है कि अगर जशोदाबेन को कोई खजाना भी दे दे तो भी वह मोदी के विरोध में एक शब्द नहीं कहेंगी.
'मोदी ने कभी नहीं की जशोदा से बात'
मैगजीन का कहना है कि नरेंद्र मोदी शादी के प्रति अनिच्छुक थे. मैगजीन के मुताबिक, वडनगर में श्री बीएन हाईस्कूल में मेदी के साथ पढ़ने वाले नागजी देसाई कहते हैं, 'शादी से एक साल पहले मोदी और जशोदा की सगाई हो गई थी. मोदी ने जशोदा से कभी बात नहीं की. मोदी हमेशा कहते रहते थे कि वह देश की सेवा करना चाहते हैं और शादी में उनकी कोई रुचि नहीं है.' नागजी देसाई आज 64 साल के हैं और वडनगर में ही आयुर्वेद डॉक्टर के तौर पर काम करते हैं. मोदी की शादी में शरीक हुए देसाई बताते हैं कि आयोजन बेहद साधारण था.
शादी के अगले दिन ही मोदी ने छोड़ा घर
मैगजीन ने नागजी के हवाले से बताया है कि जशोदा मोदी के साथ वडनगर लौट गईं, जहां मोदी की मां ने दोनों का कुमकुम लगाकर स्वागत किया. इसके बाद, शादी के दौरान बांधी जाने वाली गांठ को खोलने की रस्म हुई. फिर पति और पत्नी ने गेम खेला, जिसमें दूध के बर्तन में अगूंठी तलाशनी होती है. इस खेल में नरेंद्र मोदी को जीत मिली थी. नागजी के मुताबिक, जशोदा के लिए यह एक खुशनुमा दिन था, लेकिन अगले ही दिन सभी हैरान रह गए. खबर मिली कि सुबह की ट्रेन से नरेंद्र मोदी अहमदाबाद चले गए हैं. इसके बाद मोदी करीब 30 साल बाद वापस लौटे.
बेहद धार्मिक है जशोदाबेन का परिवार
मैगजीन के मुताबिक, जशोदा अपने भाई कमलेश के साथ रहती हैं. कमलेश के घर के बाहर की दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं की तस्वीर से यह जाहिर होता है कि जशोदाबेन और पूरा परिवार बेहद धार्मिक है. जशोदाबेन जिस प्राइमरी स्कूल से 2010 में रिटायर हुईं, वहां के स्टूडेंट के बीच वह बेहद लोकप्रिय रहीं. जशोदा वहां सामाजिक विज्ञान, गणित और गुजराती भाषा पढ़ाती थीं. स्कूल की तस्वीरों में वह स्टूडेंट्स से घिरी नजर आती हैं, जिनमें अधिकतर मुसलमान हैं. एक गांववाले ने बताया कि जशोदा सुबह बहुत जल्दी उठ जाती थीं और गायों को रोटियां और चारा खिलाकर ही स्कूल जाती थीं.