
दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर खटपट शुरू होने के आसार बन गए हैं. इस बार मसला गुड्स और सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी को लेकर होने की आशंका है. सूत्रों की मानें तो केंद्र की ओर से दिल्ली विधान सभा को निर्देश दिया गया है कि जीएसटी जैसे वित्तीय बिल को पास करने का अधिकार सिर्फ संसद को है और विधानसभा इस मसले पर कोई कानून बना ही नहीं सकता.
अब तक दिल्ली सरकार ने ये घोषणा कर रखी थी कि विधानसभा के मौजूदा मानसून सत्र में जीएसटी बिल पर अपनी मुहर लगा कर केंद्र को भेज देगी. लेकिन 4 दिनों की विधानसभा के दूसरे दिन भी अभी तक सरकार इस बिल पर चुप्पी साधे हुए है, क्या केंद्र या लोकसभा से किसी तरह का निर्देश दिल्ली सरकार को मिला है, इसपर भी कोई कुछ नहीं बोल रहा.
क्या है जीएसटी पर दिल्ली सरकार का रुख?
आम तौर पर केंद्र की नीतियों से असहमत रहने वाली दिल्ली सरकार जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र के साथ है. चूंकि दिल्ली में उत्पादन का कारोबार बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए नए टैक्स से दिल्ली का फायदा होगा. क्योंकि यहां उपभोक्ताओं की संख्या ज्यादा है. दिल्ली का थोक और रिटेल दोनों कारोबार फले-फूलेगा इसकी भी उम्मीद है.
अगर ये बिल दिल्ली विधानसभा में नहीं लाया जाता है तो निश्चित तौर पर अधिकारों की लड़ाई में ये एक नया अध्याय होगा. संभावना ये भी है कि ऐसी हालत में दिल्ली विधानसभा जीएसटी के समर्थन में एक प्रस्ताव ला सकती है, ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.