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वक्त की हकीकत को ओढ़ती-बिछाती रचनाएं

बाकरगंज के सैयद से भालचंद्र नेमाड़े लेकर हिंदू, कुछ ऐसी किताबें जिनका 2015 में रहा जलवा.

मनीषा पांडेय
  • ,
  • 29 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

किताबें क्या करती हैं? अपने समय को दर्ज करती हैं. उन घटनाओं, किस्सों, चरित्रों को, जो शब्दों में ढलकर, किताबों के पन्नों पर उतरकर इतिहास में सुरक्षित हो जाते हैं. अपने जीवन में आखिर हम कितना जी सकते हैं? हमारे हिस्से का वो काम किताबें करती हैं. हमें उस दुनिया तक लेकर जाती हैं, जहां हम जान पाएं कि जीवन और अनुभवों का संसार हमारी अपनी देखी-जानी छोटी-सी दुनिया से बहुत बड़ा है. किताबों का यह गुजरा साल भी कुछ ऐसा रहा कि इसने कभी अपने समय को दर्ज किया तो कभी इतिहास में घुसकर गुजर चुके पन्नों को टटोलने की मशक्कत की. हिंदी सिर्फ अपनी ही भाषा में रची गई दुनिया को जानकर मुतमइन नहीं थी. उसे यह भी जानना था कि सात समंदर पार दूसरे मुल्कों और सभ्यताओं में जीवन कैसे बदल रहा है. इसलिए बरास्ता अनुवाद धरती के दूसरे कोनों का साहित्य भी हिंदी की दुनिया में दाखिल हुआ. हिंदी के पांच लेखकों के अलावा प्रकाशकों, बहुत से पाठकों, लेखक बनने की दिशा में बढ़ रहे नई पीढ़ी के युवाओं और नए जमाने की लड़कियों, जो साहित्य में अपने जीवन के सवालों और चुनौतियों को ढूंढ रही हैं, से बात करके हमने साल 2015 की महत्वपूर्ण किताबों की यह फेहरिस्त तैयार की है. सब सालों की तरह यह साल भी गुजरेगा, जमाने गुजरेंगे, लेकिन लिखे हुए ये शब्द इतिहास में दर्ज होने की कुव्वत रखते हैं. ये दर्ज रहेंगे.

कोठागोई
लेखकः प्रभात रंजन
प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक जगह है चतुर्भुज स्थान. यह किताब वहां की बदनाम गलियों की गुमनाम औरतों की कहानी है. उनकी कहानी, जो हर जमाने में इस पुरुषवादी व्यवस्था का अहम हिस्सा थीं, लेकिन जिनका जीवन इतिहास में कहीं दर्ज नहीं है. जिनकी सिर्फ स्मृतियां हैं. उन्हीं स्मृतियों, किस्सों और लोककथाओं को तथ्य और कल्पना के संग जोड़कर कोठागोई का संसार बुना गया है.

दोजखनामा
लेखकः रविशंकर बल
प्रकाशकः हार्पर हिंदी
बांग्ला से अनूदित इस उपन्यास को सुनील गंगोपाध्याय ने 2010 का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास कहा है. इस ऐतिहासिक उपन्यास की मुख्य कथा कुछ यूं है कि इसमें उर्दू के अफसानानिगार सआदत हसन मंटो और शायर मिर्जा गालिब आपस में संवाद करते हैं. आखिर कैसे? दोनों का देश-काल एक तो था नहीं. वे अपनी कब्र से बातें करते हैं और अपने समय और जीवन के किस्से सुनाते हैं.

बाकर गंज के  सैयद
लेखकः असगर वजाहत
प्रकाशकः राजपाल ऐंड संस
विभिन्न संस्कृतियों और जातीय अस्मिताओं वाले इस देश में यह उपन्यास उस अस्मिता को ढूंढऩे की कोशिश है, जो कहीं सुदूर से हिंदुस्तान की जमीन पर आई और यहां की पहचान में घुलकर यहीं की हो गई. यह अवध के बिसरे हुए गांवों के सफर पर लेकर जाता है और वहां के सय्यदों के सांस्कृतिक इतिहास और मौजूदा दुनिया में उनके वजूद को ढूंढऩे की कोशिश करता है. इतिहास के साथ पिरोकर लिखे गए इस उपन्यास को पढऩे में यात्रा वृत्तांत और रिपोर्ताज का आनंद मिलता है.

हिंदूः जीने का समृद्ध कबाड़
लेखकः भालचंद्र नेमाड़े
प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
मराठी से अनूदित यह उपन्यास उस दौर में
ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है, जब पूरा देश बहुत तेजी से हिंदुत्व की एक ऐसी विचारधारा की चपेट में आ रहा हो, जहां विरोधी विचारों के लिए जगह कम है. ऐसे में यह उपन्यास अपनी ही जड़ों की ओर लौटता है और हिंदुत्व की एक वृहत्तर परिभाषा देता है, जहां सहिष्णुता और उदारता है. जहां हिंदू होना कोई धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है. ऐसी समावेशी जीवन शैली, जहां विविधता के साथ और विरोध के लिए भी खुली जगह है. पाठकों और आलोचकों ने इसे काफी सराहा है.

1915 गांधी
लेखकः मधुकर उपाध्याय
प्रकाशकः पेंग्विन बुक्स
यह किताब उस समय के भारतीय समाज के बारे में है, जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से हिंदुस्तान लौटे थे और यहां के जमीनी हालात को समझने के लिए देश भर में घूम रहे थे. किताब में उस समय के हिंदुस्तान, राजनैतिक हलचलों और धीरे-धीरे देश में जाग रही गांधी नामक मशाल का ठोस और प्रामाणिक आख्यान है.

मम्मा की डायरी
लेखकः अनु सिंह चौधरी
प्रकाशकः हिंद युग्म
यह किताब उस स्त्री की चिंताओं, उलझनों और आंतरिक संघर्ष की डायरी है, जिसके बड़े होते बच्चे उसके लिए हर क्षण प्यार के सबसे अनूठे उपहार के साथ-साथ सबसे बड़ी चुनौती हैं. जिम्मेदारियां और सपने एक-दूसरे से हर क्षण टकराते हैं और बीच की राह चुनना हर क्षण चुनौती है.

जोसेफ एण्टन
लेखकः सलमान रुश्दी
प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
सलमान रुश्दी के इस आत्मकथात्मक संस्मरण में उन दिनों की बातें हैं, जब अपने खिलाफ जारी फतवे के कारण वे छिपकर रह रहे थे. जोसेफ एंटन नाम भी उन्होंने अपनी पहचान छिपाने और दो लेखकों जोसेफ कोनार्ड और एंटन चेखव के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए रखा था. अंग्रेजी से अनूदित यह किताब रुश्दी की उसी जानी-पहचानी शैली में उनके जीवन के प्रेम, दोस्तियों, अकेलेपन, धर्म और मानवीय अस्मिता की कहानी कहती है.

हम, तुम और वो ट्रक
लेखकः मो यान
प्रकाशकः मो यान
व्यंग्यात्मक शैली में लिखा गया यह चीनी उपन्यास एक कम्युनिस्ट समाज के अंतर्विरोधों की कहानी है. किस तरह सबके लिए न्याय के विचार की जमीन पर बना समाज भी उतना मानवीय नहीं है. इन सारे सामाजिक बदलावों के बीच एक प्रेम कहानी है, जो तमाम विद्रूपताओं के बीच भी अपने लिए थोड़ी सुंदरता बचा लेना चाहती है.

जमाने में हम
लेखकः निर्मला जैन
प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
यह आत्मकथा हिंदी की अकादमिक और साहित्यिक दुनिया के उस दौर की कहानी है, जब दो पुरुषों डॉ. नगेंद्र और नामवर सिंह का ही बोलबाला था. उस जमाने में वे पहली ऐसी महिला के रूप में उभरीं, जिसने हिंदी जगत में अपना मुकाम बनाया. किताब उस दौर की तमाम भीतरी जानकारियों और महत्वपूर्ण किस्सों का रोचक दस्तावेज है.

भारतीय पौराणिक कथाएं
लेखकः देवदत्त पटनायक
प्रकाशकः राजपाल ऐंड संस
भारतीय पौराणिक चरित्रों की कथा, उनके अर्थ और छिपे हुए निहितार्थ सिर्फ उतने नहीं हैं, जितनी कट्टर हिंदूवादी और कट्टर प्रगतिशील विचारधाराएं बताती रही हैं. दुनिया में कहीं और ऐसे विविधतापूर्ण मिथकीय चरित्र मिलते भी नहीं. जैसे काली, गणेश और शंकर. पटनायक की यह किताब नए संदर्भों में प्राचीन पौराणिक चरित्रों की व्याख्या करती है.

अन्य किताबें...
इन दस किताबों के अलावा विभिन्न विधाओं में और भी कुछ महत्वपूर्ण किताबें इस वर्ष प्रकाशित हुई हैं.
एक महीना नज्मों का
लेखकः इरशाद कामिल
प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
प्रेम, पीड़ा, बिछोह की नज्मों की किताब.

खाली नाम गुलाब का
लेखकः अम्बर्तो इको
प्रकाशकः राजकमल प्रकाशन
इतालवी उपन्यासकार इको के प्रसिद्ध उपन्यास द नेम ऑफ द रोज का अनुवाद.

इश्क में शहर होना
लेखकः रवीश कुमार
प्रकाशकः सार्थक
हिंदी में लप्रेक यानी लघु प्रेम कथा की नई विधा शुरू करने वाली प्रेम कहानियां.

कोस कोस शब्दकोश
लेखकः राकेश कायस्थ
प्रकाशकः हिन्द युग्म
अपने समय के हर जरूरी सवाल पर तंज कसता व्यंग्य संग्रह.

तीन रोज इश्क
लेखकः पूजा उपाध्याय
प्रकाशकः पेंगुइन
जीवन और प्रेम की बारीकियों को समेटे सुंदर प्रेम कहानियों का संग्रह.

राजेश खन्नाः एक तन्हा सितारा
लेखकः गौतम चिंतामणि
प्रकाशकः हार्पर हिंदी
एक सुपरस्टार से लेकर गुमनाम सितारे तक राजेश खन्ना की जीवन कथा.

मैं हिजड़ा मैं लक्ष्मी

लेखकः लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी
प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
एक बंद और सामंती मुल्क में थर्ड जेंडर होने की पीड़ा की मार्मिक दास्तान.

बस इतनी सी थी ये कहानी
लेखकः नीलेश मिसरा
प्रकाशकः नाइन बुक्स
जीवन के विविध प्रसंगों, रंगों को समेटे हुए कहानियों का संग्रह.

बनारस टॉकीज
लेखकः सत्य व्यास
प्रकाशकः हिन्द युग्म
बीएचयू और बनारस के परिवेश के गिर्द बुना गया उपन्यास.

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