
जरूरतमंदों की मदद के लिए 'गूंज' नाम का एनजीओ स्थापित करने वाले अंशु गुप्ता की मेहनत रंग लाई है. साल 2015 के लिए उन्हें रमन मैग्सेसे अवॉर्ड के लिए चुना गया है. जानिए अंशु के बारे में खास बातें....
1. 'गूंज' नाम के एनजीओ की शुरुआत की.
2. 12वीं की पढ़ाई के दौरान उनका एक्सीडेंट हो गया जो उनकी जिंदगी को बदल गया.
3. देहरादून से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया.
4. जेएनयू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) से पत्रकारिता का कोर्स किया.
5. पढ़ाई खत्म करके बतौर कॉपी राइटर एक विज्ञापन एजेंसी में काम करना शुरू किया.
6. कुछ समय बाद पावर गेट नाम की एक कंपनी में दो साल तक काम किया.
7. नौकरी से ऊबकर NGO का रुख किया.
8. 1999 में चमोली में आए भूकंप में उन्होंने रेड क्रॉस की सहायता से जरूरतमंदों के लिए काफी सामान भेजा.
9. अंशु ने तमिलनाडु सरकार के साथ एक समझौता किया ताकि वहां आई प्राकृतिक आपदा के दौरान जो कपड़े नहीं बांटे जा सके उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचाया जा सके.
10. फिलहाल गूंज का वार्षिक बजट तीन करोड़ से अधिक पहुंच चुका है.
11. 67 कपड़ों से शुरु हुआ यह संगठन आज प्रतिमाह अस्सी से सौ टन कपड़े गरीबों को बांटता है.
12. गूंज के 21 राज्यों में संग्रहण केंद्र हैं और दस ऑफिस हैं. टीम में डेढ़ सौ से ज्यादा साथी हैं.
13. गूंज ने क्लॉथ फॉर वर्क कार्यक्रम शुरू किया.
14. अंशु के प्रयासों से कुछ गांवों में छोटे पुल बने तो कुछ गांवों में कुएं खोदे गए.
15. 'गूंज' में कामकाज को देखने की जिम्मेदारी ज्यादातर महिलाओं के हाथ में है.