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BJP नेता किरण बेदी के बारे में जानें

पूर्व सुपरकॉप किरण बेदी ने गुरुवार को बीजेपी की सदस्यता ले ली और वे आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में भी उतरेंगी. उनका जन्म अमृतसर के एक छोटे से परिवार में 9 जून 1949 को हुआ था. उनके पिता का नाम प्रकाश लाल पेशावरिया और पति का नाम बृज बेदी है. चार बहनों में से किरण दूसरे नंबर की हैं.

किरण बेदी किरण बेदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2015,
  • अपडेटेड 10:15 AM IST

पूर्व सुपरकॉप किरण बेदी ने गुरुवार को बीजेपी की सदस्यता ले ली और वे आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में भी उतरेंगी. उनका जन्म अमृतसर के एक छोटे से परिवार में 9 जून 1949 को हुआ था. उनके पिता का नाम प्रकाश लाल पेशावरिया और पति का नाम बृज बेदी है.

उनकी शुरुआती शिक्षा अमृतसर के कॉन्वेंट स्कूल में हुई. 1964-68 में उन्होंने शासकीय कन्या महाविद्यालय, अमृतसर से अंग्रेजी साहित्य (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन किया तथा 1968-70 में पॉलिटिकल साइंस में एमए की डिग्री हासिल की. भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद भी उनका पढ़ाई के प्रति रुझान जारी रहा. 1988 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन किया.

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साल 1993 में किरण बेदी ने राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नई दिल्ली से सामा‍जिक विज्ञान में ‘नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा’ विषय पर रिसर्च करके पीएचडी की डिग्री हासिल की. साल 2005 में ‍किरण बेदी को ‘डॉक्टर ऑफ लॉ’ की उपाधि से सम्मानित किया गया. किरण बेदी को बचपन से ही टेनिस खेलना बहुत पसंद था. अपनी बहनों के साथ उन्होंने टेनिस में खूब नाम कमाया और ये बहनें ‘पेशावर सिस्टर्स’ के नाम से मशहूर हुईं. किरण ऑल इंडिया और ऑल एशियन टेनिस चैंपियनशिप की विजेता भी रहीं.

किरण बेदी को भारत की पहली महिला आईपीएस अफसर होने का भी गौरव प्राप्त है. वो डीआईजी, चंडीगढ़ गवर्नर की सलाहकार, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में डीआईजी तथा यूनाइटेड नेशन्स में एक असाइनमेंट पर भी कार्य कर चुकी हैं. दिल्ली में तिहाड़ जेल की महानिरीक्षक रहते उन्होंने यहां कैदियों के प्रति नजरिए को बदल दिया और ‘सुधारात्मक रवैया’ अपनाते हुए उन्हें योग-ध्यान, शिक्षा और संस्कारों का पाठ पढ़ाया.

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दिल्ली में ‘ट्रैफिक कमिश्नर’ रहते हुए उनके तीखे तेवर तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी भारी पड़े. नो पार्किंग में खड़ी प्रधानमंत्री की गाड़ी को क्रेन से उठवाने के बाद तो किरण बेदी का नाम ही ‘क्रेन बेदी’ पड़ गया. किरण बेदी को 1979 में प्रेसीडेंट गेलेंट्री अवॉर्ड, 1980 में वुमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड, 1991 में एशिया रीजन अवॉर्ड फॉर ड्रग प्रिवेंशन एंड कंट्रोल, 1995 में महिला शिरोमणि अवॉर्ड, 1995 में ही फादर मैचिस्मो ह्यूमेटेरियन अवॉर्ड, 1999 में प्राइड ऑफ इंडिया और 2005 में मदर टेरेसा मेमोरियल नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया.

साल 1994 में किरण बेदी को उनकी बेहतरीन सेवा के लिए ‘रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड’ से भी नवाजा गया है. 2004 में उन्हें UN मेडल से भी सम्मानित किया गया. किरण बेदी के जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है और इसे बनाया है एक मशहूर ऑस्ट्रेलियाई फिल्मकार मेगन डॉनमेन ने. डॉनमेन हॉलीवुड की ‘डार्क सिटी’ ‘मिशन इंपॉसिबल-2’ और ‘होली स्मोक’ जैसी फिल्मों में असिस्टेंट एडिटर रह चुकी हैं.

उपराज्यपाल की सिफारिश के बावजूद दिल्ली पुलिस कमिश्नर न बनाए जाने से आहत किरण बेदी ने दिसंबर 2007 में रिटायरमेंट से पहले ही पुलिस की नौकरी छोड़ दी. किरण की जगह उनसे जूनियर वाई.एस डडवाल को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. किरण बेदी की समाजसेवा में काफी रुचि है और उन्होंने 1987 में ‘नवज्योति’ व 1994 में ‘इंडिया विजन फाउंडेशन’ नाम से दो एनजीओ की शुरुआत की. उनकी इन संस्थाओं को UN की ओर से ‘सर्ज सॉइटीरॉफ मेमोरियल अवॉर्ड से नवाजा गया है.

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टीवी के पॉपुलर शो ‘आप की कचहरी’ में किरण बेदी जज की भूमिका निभा चुकी हैं. यह कार्यक्रम असली जिंदगी की घटनाओं पर आधारित था और इसमें वे घरेलू झगड़ों का निपटारा करते हुए दिखाई देतीं थी. अन्ना के भ्रष्टाचार के खिलाफ और जनलोकपाल आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और अंतत: 15 जनवरी 2015 को उन्होंने बीजेपी की सदस्यता लेकर राजनीति में कदम रखा.

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