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एअर इंडिया हादसा: काम नहीं कर रहा था विमान का एपीयू

मुंबई एयरपोर्ट पर एअर इंडिया विमान हादसा एक लापरवाही का नतीजा था. इस हादसे में बुधवार को इंजन में फंसकर एक ग्राउंड स्टाफ की मौत हो गई थी.

हादसे के वक्त तकनीशियन को संभलने का मौका भी नहीं मिला हादसे के वक्त तकनीशियन को संभलने का मौका भी नहीं मिला
परवेज़ सागर
  • मुंबई,
  • 17 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 7:28 PM IST

मुंबई एयरपोर्ट पर एअर इंडिया विमान हादसे की जांच के आदेश दिए गए हैं. लेकिन शुरुआती जांच में हादसे की वजह लापरवाही की शक्ल में सामने आई है. इस हादसे में इंजन में फंसकर एक ग्राउंड स्टाफ की मौत हो गई थी. यह हादसा विमान संख्या AI 619 के उड़ान भरने से ठीक पहले हुआ था.

 

 

टी2 टर्मिनल पर हुआ हादसा
यह हादसा गुरुवार को मुंबई एयरपोर्ट के T2 टर्मिनल पर रात 8 बजकर 30 मिनट पर हुआ. मृतक कर्मचारी टेक्निशियन था और विमान के उड़ान भरने के समय इंजन की चपेट में आ गया. जिसकी वजह से मौके पर ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई.

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ठीक नहीं था विमान का एपीयू
सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक एअर इंडिया का विमान संख्या AI 619 मुंबई से हैदराबाद के लिए उड़ान भरने वाला था. ठीक उड़ान से पहले उसकी जांच की जा रही थी. जांच में पता चला कि विमान की सहायक विद्युत इकाई (APU) काम नहीं कर रही थी. जिसकी वजह से इंजन सामान्य रूप से स्टार्ट नहीं हो रहा था.

पायलट ने स्टार्ट किया था एक इंजन
विमान का एपीयू काम नहीं कर रहा था. इसी दौरान पायलट ने एक इंजन स्टार्ट कर दिया. दरअसल, जब विमान का कोई एक भी इंजन स्टार्ट होता है, तो उसका बाहरी पॉवर सोर्स डिस्कनेक्ट हो जाता है. जिससे विमान को पीछे तरफ धक्का लगता है. उसके बाद चालू इंजन के बाद दूसरे इंजन को स्टार्ट करने की प्रकिया को अपनाया जाता है. माना जा रहा है कि इसी प्रक्रिया के दौरान यह हादसा हुआ.

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हादसे की एक वजह और भी
एअर इंडिया का विमान संख्या AI 619 में पार्किंग बो में था, लेकिन उसके पार्किंग ब्रेक नहीं लगे थे. माना जा रहा है कि इसी दौरान एक इंजन स्टार्ट होते ही विमान अपनी जगह से आगे बढ़ गया. और जांच के लिए वहां तैनात तकनीशियन उसकी चपेट में आ गया. इंजन में आने की वजह से उसका शरीर बुरी तरह से टुकड़ों में बंट गया और उसकी दर्दनाक मौत हो गई. उसके शरीर के अवशेष विमान के इंजन से निकालने की प्रयास किए जा रहे हैं.

क्या होता है टेकऑफ से पहले
विमान को एक टो वैन के सहारे पार्किंग बे में लाया जाता है. उसी वैन के सहारे विमान को बिना स्टार्ट किए आगे और पीछे धकेला जाता है. रनवे पर विमान को सही स्थिति में लाने के लिए ठीक विमान की अगले हिस्से यानी कॉकपिट के सामने एक तकनीशियन तैनात किया जाता है. जिसे दोनों पायलट देख पाते हैं. विमान के इंजन उसकी नाक से लगभग 30 फीट दूर होते हैं. इसी दौरान सामने खड़ा तकनीशियन लैंडिंग गियर में लगी एक पिन निकलता है. जो पायलट के लिए इस बात इशारा होता है कि विमान अब उड़ान भरने के लिए तैयार है. और उड़ान के बाद लैंडिंग गियर के बंद होने का इशारा भी. ग्राउंड स्टाफ के तकनीशियनों अच्छी तरह से पता होता है कि विमान के इंजन के सामने कितनी जगह खाली रखनी है.

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हादसे पर कुछ सवाल
हादसे की वजह बड़ी लापरवाही भी हो सकता है. इसलिए ऐसे कई सवाल भी हैं जिनका जवाब जांच में ही सामने आ सकता है. मसलन क्या सर्विस इंजीनियर ने जांच प्रक्रिया के दौरान तकनीकी हालात का गलत आकलन किया था? क्या इस प्रक्रिया के बीच विमान के पायलट ने गलती से विमान का इंजन तेज गति से चालू कर दिया था? क्या वहां मौजूद इंजीनियर को प्रक्रिया की जानकारी नहीं थी? क्या आस पास मौजूद स्टाफ उस तकनीशियन को चेतावनी देने में नाकामयाब रहा? सवाल बहुत गंभीर हैं जिनके जवाब आना अभी बाकी है.

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