ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को तीन तलाक स्पष्ट किया कि वो इस मसले को शरीयत के रोशनी में ही देखेंगे और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपनी राय रखेंगे. बोर्ड ने कहा कि जिन महिलाओं के साथ तीन तलाक में अन्याय हुआ है, बोर्ड उनके लिए हरसंभव मदद को तैयार है. हमने सर्वे किया है कि तलाक को जितना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, मामला उतना संगीन नहीं है. जितना बताया जा रहा है उसका 10 प्रतिशत भी नहीं है.
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मुस्लिम बोर्ड का मानना है कि सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर इस्लाम और शरीयत के खिलाफ बनाया गया भ्रम दूर किया जाएगा. हमने देश में सबसे बड़ा सिग्नेचर कैम्पेन लॉन्च किया है और जो आंकड़े आए हैं, उसमें 5 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने शरीयत के साथ रहने पर अपनी सहमति दी है. बोर्ड ने साफ किया कि शरीयत कारणों के बिना तीन तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.
मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड का कोर्ड ऑफ कंडक्ट
तलाक देने से पहले एक दूसरे की गलतियों को नजरअंदाज करने की कोशिश की जानी चाहिए.
पति पत्नी को पहले 'कता तआल्लुक' (टेम्परेरी रिलेशन ख़त्म) करने चाहिए.
दोनों तरीकों से बात न बने तो दोनों परिवारों के समझदार लोग समझौते की कोशिश करें.
दोनों तरफ से एक-एक व्यक्ति को निर्णायक बनाया जाए, जो कि नाइत्तेफाकी (विरोधाभास) दूर करने की कोशिश करे.
अगर बात न बने तो बीवी को पाकी की हालत में एक बार तलाक देकर छोड़ दे.
इसके तीन महीने बाद तक अलग रहने पर अगर समझौता हो जाता है तो ठीक है, वर्ना शौहर को अपनी बीवी को मेहर और 3 महीने के खर्च की रकम देना होगा.
अगर इन तीन महीने (इद्दत) में पति-पत्नी राजी हो जाते हैं, तो उनका फिर से निकाह होगा और नई मेहर के साथ दोनों साथ रह सकते हैं.
तलाक का सही रास्ता उन्होंने बताया कि पति पाकी की हालत में पहला तलाक दे, फिर दूसरे महीने दूसरा और फिर तीसरे महीने तीसरा तलाक दे.
तीसरी तलाक से पहले अगर समझौता हो जाता है, तो फिर उसे तलाक नहीं माना जाएगा.
इसके अलावा पत्नी भी अगर पति के साथ नहीं रहना चाहती हैं, तो वह ख़ुला के जरिये उस शख्स से रिश्ता खत्म कर सकती है.
वहीं बोर्ड ने साथ ही बताया कि अगर कोई शख्स एक साथ तीन तलाक दे देता है, तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.
मुस्लिम विवाह पर पसर्नल लॉ बोर्ड
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मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तीन तलाक़ के मुद्दे पर भी अपना पक्ष रखा. बोर्ड ने कहा, शरीयत के हिसाब से हमेशा निकाह का रिश्ता कायम रहे, लेकिन मियां-बीवी में विवाद होने पर कोड ऑफ कंडक्ट जारी हो रहा है.
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हम लोग तीन तलाक के मसले को शरीयत के रोशनी में ही देखेंगे और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपनी राय रखेंगे.
जिन महिलाओं के साथ तीन तलाक़ में अन्याय हुआ है, बोर्ड उसकी हर संभव तैयार है.
हमने सर्वे किया है तलाक़ को जितना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, मामला उतना संगीन नहीं है. जितना बताया जा रहा है उसका 10 प्रतिशत भी भी नहीं है.
सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर के इस्लाम और शरीयत के खिलाफ बनाया गया भ्रम दूर किया जाएगा.
हमने देश में सबसे बड़ा सिग्नेचर कैम्पेन शुरू किया है और जो आंकड़े आए हैं उसमे 5 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने शरीयत के साथ रहने पर अपनी सहमति दी है.
पर्सनल बोर्ड ने इसके साथ ही बाबरी मस्जिद के मसले पर कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानेंगे.