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HRD मिनिस्ट्री की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं हजारों लोगों के आधार डेटा!

आधार ऐक्ट 2016 के तहत कलेक्ट किया गया कोई भी आधार नंबर या कोर बायोमैट्रिक इनफॉर्मेशन पब्लिक नहीं किया जा सकता और न ही इसे किसी पब्लिक प्लैटफॉर्म पर पोस्ट किया जा सकता है. हालांकि इसके इस्तेमाल कानून के तहत शामिल की गईं एजेंसियां और संस्थाएं कर सकती हैं.

फाइल फोटो (रॉयटर्स) फाइल फोटो (रॉयटर्स)
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 5:21 PM IST

अगर आपका नाम, पता, आधार कार्ड नंबर, डेट ऑफ बर्थ और अकाउंट नंबर कोई जान ले, वो भी एक गूगल सर्च जरिए. हैरानी की बात है, लेकिन ऐसा हो रहा है. देश के हजारों नागरिकों की ये पर्सनल जानकारियां गूगल पर आसानी से उपलब्ध हैं और वो भी सरकारी वेबसाइट के जरिए.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट से ऐसे डेटा ऐक्सेल शीट आसानी से गूगल के जरिए डाउनलोड की जा सकती है. आप इसे चूक करें या लापरवाही, लेकिन इतने नागरिकों का घर तक का पता किसी के पास भी हो सकता है.

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St Hill नाम के एक ट्विटर यूजर ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया है कि आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल कैसे हो सकता है. या यों कहें की हो रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक सिक्योर रखे जाने वाले इन पर्सनल जानकारियों की लिस्ट Ms. Excel शीट में गूगल के जरिए आसानी से डाउनलोड करने को उपल्बध हैं. इन डेटा में लगभग हजारों नागरिकों की के पैन कार्ड नंबर, जाती और धर्म की जानकारियां आसानी से मिल जाएगी.

हालांकि ये डेटा आधार की वेबसाइट से नहीं लीक हो रहे, बल्कि केंद्र सरकार की दूसरी वेबसाइट्स से डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं. दरअसल सरकार की कुछ स्कीम में इन डेटा की जरुरत होती है और इसकी एक्सेल शीट मेंटेन की जाती है. लेकिन ये सभी जानकारियां मंत्रालयों के लिए ही होती हैं. लेकिन ये डेटा फिलहाल आम पब्लिक के लिए डाउनलोड के लिए उपलब्ध है जो बड़े सवाल खड़ा करता है.

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क्या आधार नंबर को पब्लिक करना सही है?

आधार ऐक्ट 2016 के मुताबिक किसी नागरिक का आधार डेटा पब्लिश नहीं किया जा सकता. यानी मंत्रालय की वेबसाइट इन डेटा को सिक्योर रखने में नाकामयाब हो रही हैं.

आधार ऐक्ट 2016 के तहत कलेक्ट किया गया कोई भी आधार नंबर या कोर बायोमैट्रिक इनफॉर्मेशन पब्लिक नहीं किया जा सकता और न ही इसे किसी पब्लिक प्लैटफॉर्म पर पोस्ट किया जा सकता है. हालांकि इसके इस्तेमाल कानून के तहत शामिल की गईं एजेंसियां और संस्थाएं कर सकती हैं.

दी वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक महीने पहले डेटा रिसर्चर श्रीनीवास कोडाली ने थर्ड पार्टी वेबसाइट के द्वारा गलती लीक किए गए 5-6 लाख लोगों के पर्सनल डेटा के बारे में बताया था. इस डेटा में आधार नंबर, नाम, कास्ट, जेंडर और फोटोज शामिल थे.

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