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VVPAT को गर्मी से बचाने EC ने बनाया प्लान, 2019 में दिखेगा बदलाव

हाल में गोंदिया और कैराना में हुए उपचुनाव के दौरान कई वीवीपीपैट मशीनों के खराब होने और विपक्ष द्वारा इस पर कड़ी प्रतिक्रिया को देखते हुए चुनाव आयोग ऐसे कदम उठाने पर मजबूर हुआ है.

वीवीपैट मशीनों के गर्मी से खराब होने की आ रही थी श‍िकायत वीवीपैट मशीनों के गर्मी से खराब होने की आ रही थी श‍िकायत
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2018,
  • अपडेटेड 3:51 PM IST

2019 के चुनाव में ईवीएम से जुड़े को VVPAT मशीनों को गर्मी से बचाने के लिए चुनाव आयोग खास इंतजाम करने जा रहा है. आगे सभी वीवीपैट मशीनों में एक इन-बिल्ट हुड होगा जिससे मशीनें अत्यधिक प्रकाश या गर्मी के सीधे एक्सपोजर से बच सकेंगी.

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, हाल में गोंदिया और कैराना में हुए उपचुनाव के दौरान कई वीवीपैट मशीनों के खराब होने और विपक्ष द्वारा इस पर कड़ी प्रतिक्रिया को देखते हुए चुनाव आयोग ऐसे कदम उठाने पर मजबूर हुआ है.

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उत्तर प्रदेश के कैराना और महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट के उपचुनाव में वीवीपैट मशीनों में गड़बड़ी की वजह अत्यधिक धूप बताई गई थी. इस मामले में आयोग की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक गड़बड़ी की शिकार हुई वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों के दो पुर्जों (कॉन्ट्रास्ट सेंसर और लेंथ सेंसर) में खराबी के कारण मतदान बाधित हुआ था.

जांच में पाया गया कि यह तकनीकी खराबी उन मतदान केंद्रों पर पाई गई, जिनमें मशीनें अत्यधिक धूप में रखी गई थीं. चुनाव आयोग की तकनीकी समिति ने इन संवेदनशील मशीनों में खामी को देखते हुए इन पर आपत्ति जताई थी. इस मामले को वीवीपैट मैन्युफैक्चरर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) के सामने उठाया गया था.

इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि मशीनों में एक हुड लगाया जाए जिससे वे सीधे लाइट या ज्यादा गर्मी के संपर्क में न आएं. बीईएल ने इस तरह के वीवीपैट का निर्माण भी शुरू कर दिया है. ईसीआईएल ने भी अपनी मशीनों में ऐसे हुड लगाने शुरू कर दिए हैं.

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यही नहीं, पुराने वीवीपैट में भी ऐसे हुड लगाए जाएंगे. गत 28 मई को हुए उपचुनावों के दौरान चुनाव आयोग को करीब 11.6 फीसदी वीपीपैट मशीनों में बदलाव करना पड़ा था. साल 2017 में हिमाचल प्रदेश में चुनाव के दौरान 35 फीसदी वीवीपैट मशीनें खराब हो गई थीं.

चुनाव आयोग ने 2019 के चुनाव पूरी तरह से वीवीपैट के आधार पर कराने का निर्णय लिया है. नई पेपर ट्रेल मशीनों के लिए चुनाव आयोग ने 3,000 करोड़ रुपये मांगे थे. कैबिनेट ने वीवीपैट मशीन खरीदने के लिए चुनाव आयोग को फंड देने का फैसला लिया. देश में कुल 16 लाख ईवीएम मशीनें लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल होती हैं और इतनी ही वीवीपैट मशीनें चाहिए.

क्या है वीवीपैट (VVPAT)?

वीवीपैट (VVPAT) यानी वोटर वैरिफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल एक प्रिंटर मशीन है जो ईवीएम की बैलेट यूनिट से जुड़ी होती है. ये मशीन बैलेट यूनिट के साथ उस कक्ष में रखी जाती है जहां मतदाता गुप्त मतदान करने जाते हैं. वोटिंग के समय वीवीपैट से एक पर्ची निकलती है जिसमें उस पार्टी और उम्मीदवार की जानकारी होती है जिसे मतदाता ने वोट डाला.

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