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श‍िमला: HC का अनूठा फैसला, हरियाली बचाने को पेड़ों पर लगेंगे रेडियो टैग

पेड़ों की अवैध कटाई के बाद कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रही हिमाचल की राजधानी शिमला की बची हुई हरियाली को कुल्हाड़ी से बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अनूठा फैसला लिया है.

श‍िमला में कम हो रही है हरियाली (Photo credit- Manjeet Sehgal) श‍िमला में कम हो रही है हरियाली (Photo credit- Manjeet Sehgal)
वंदना भारती/मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 13 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST

पेड़ों की अवैध कटाई के बाद कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रही हिमाचल की राजधानी शिमला की बची हुई हरियाली को कुल्हाड़ी से बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अनूठा फैसला लिया है.

कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के वन विभाग को आदेश जारी किया है कि राजधानी के सभी हरे पेड़ों पर रेडियो टैग ( रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग )लगाया जाएं, ताकि हर पेड़ की निगरानी की जा सके.

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हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला शिमला शहर के रामनगर इलाके में अवैध रूप से काटे गए हरे पेड़ों के मामले के बाद आया है. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हरे पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध है. बावजूद इसके प्रभावशाली लोग किसी न किसी तरह पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाते रहे हैं. सूत्रों की माने तो लोग अक्सर अपने प्लॉट और घर के आगे आने वाले पेड़ों से छुटकारा पाने के लिए उनकी जड़ों में जहर बुझे इंजेक्शन भी लगाते हैं, ताकि वह धीरे-धीरे सूख जाए.

हिमाचल हाई कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए भारी पड़ रहा है, जिनकी जमीन पर दर्जनों पेड़ हैं. दरअसल, एक पेड़ पर रेडियो टैग लगाने का खर्चा ₹5000 रुपये है. शिमला शहर के 34 वार्ड में निजी जमीन पर दो लाख के करीब हरे पेड़ हैं.

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कोर्ट की फटकार के बाद वन विभाग ने ना केवल शिमला के पेड़ों की गिनती का काम शुरू कर दिया है, बल्कि अब तक करीब 5000 हरे पेड़ों पर रेडियो टेग भी लगा लिया है.

धीरे-धीरे शिमला एक कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है. अंग्रेजों द्वारा लगाए गए देवदार के हरे पेड़ या तो सूख चुके हैं या फिर धीरे-धीरे बूढ़े हो रहे हैं.

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