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बीजेपी के लिए क्यों जरूरी है यूपी में सीएम कैंडिडेट?

भले ही लोग बीजेपी को पसंद करते हों और राज्य की सत्ता में देखना चाहते हों लेकिन सीएम के रूप में उनकी पहली पसंद अखिलेश और दूसरी पसंद मायावती ही हैं. यानी अगर बीजेपी इन नेताओं के कद का सीएम कैंडिडेट आगे नहीं करती तो उसे मिल रही अपनी बढ़त गंवानी पड़ सकती है.

सीएम के रूप में बीजेपी के सबसे पसंदीदा नेता राजनाथ सिंह ही हैं सीएम के रूप में बीजेपी के सबसे पसंदीदा नेता राजनाथ सिंह ही हैं
विजय रावत
  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST

यूपी में विधानसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है और पार्टियां चुनावी रण में कूदने को कमर कस चुकी हैं. इसी बीच इंडिया टुडे ग्रुप के लिए एक्सिस-माई इंडिया की ओर से किए गए ताजा ओपिनियन पोल के नतीजे बीजेपी के लिए खुशखबरी लेकर आए हैं. हालांकि इन्हीं नतीजों में केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के लिए एक नसीहत भी छिपी है कि अगर वो सीएम कैंडीडेट के बिना चुनाव मैदान में उतरती है तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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बीजेपी को मिलने जा रहा है पूर्ण बहुमत
ओपिनियन पोल के नतीजों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अपने दम पर पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है और उसे 206 से 216 सीटें मिल सकती हैं. राज्य की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी अपने मौजूदा अवतार में 92 से 97 सीटों तक सिमट सकती है. बीएसपी को 79 से 85 तो कांग्रेस को महज 5 से 9 सीटें मिलने का अनुमान है.

बीजेपी के लिए सर्वे के उक्त आंकड़े जहां उत्साहवर्धक हैं, वहीं सीएम कैंडिडेट के बिना उतरना उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. सर्वे में जब मुख्यमंत्री के पद पर जनता की पसंद के बारे में पूछा गया तो सबसे अधिक वोट मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मिले. अखिलेश इस मामले में 33% वोटरों की पसंद रहे जबकि मायावती को 25% ने सीएम के रूप में अपनी पहली पसंद बताया.

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सीएम कैंडिडेट की रेस में पिछड़ी पार्टी
इन नतीजों से साफ है कि भले ही लोग बीजेपी को पसंद करते हों और राज्य की सत्ता में देखना चाहते हों लेकिन सीएम के रूप में उनकी पहली पसंद अखिलेश और दूसरी पसंद मायावती ही हैं. यानी अगर बीजेपी इन नेताओं के कद का सीएम कैंडिडेट आगे नहीं करती तो उसे मिल रही अपनी बढ़त गंवानी पड़ सकती है.

बीजेपी के जिस नेता को लोगों ने सीएम कैंडिडेट के रूप में पसंद किया वो गृहमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह रहे. उन्हें 20% प्रतिभागियों ने अगले मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद बताया. हालांकि राजनाथ खुद ही अपने आप को इस पद की रेस से बाहर कर चुके हैं. शायद यही वजह कि पार्टी अपना सीएम कैंडिडेट घोषित करने में हिचक रही है लेकिन उसकी ये हिचक जीत की उसकी उम्मीदों को पलीता लगा सकती है.

हाल ही में हुए कई राज्यों में चुनाव के नतीजे भी इस बात पर मुहर लगाते हैं कि लोग अब पार्टी से ज्यादा नेता को तरजीह देते हैं. बिहार, दिल्ली, बंगाल के चुनाव इसके बड़े उदाहरण हैं. लोकसभा चुनाव में भी लोगों ने 'बीजेपी' सरकार की बजाय 'मोदी' सरकार को प्राथमिकता दी. बीजेपी ने भी अपना स्लोगन 'अबकी बार-मोदी सरकार' रखा. यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ऐतिहासिक जीत का श्रेय अखिलेश यादव को दिया गया क्योंकि पार्टी ने उनके नाम पर ही चुनाव लड़ा था.

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