
नोटबंदी के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कैशलेस ट्रांजेक्शन की वकालत कर रहे हैं और लोगों को भी नगदी की बजाय कार्ड इस्तेमाल करने के लिए जागरुक भी कर रहे हैं लेकिन देश की राजधानी दिल्ली जहां पढ़े-लिखे लोगों की तादाद अपेक्षाकृत थोड़ी ज़्यादा है वहीं के व्यापारी कैशलेस पेमेंट सिस्टम को लेकर थोड़े असहज हैं.
पीएम की अपील के बाद पुरानी दिल्ली के उन बाज़ारों में जाकर पड़ताल की तो ज़्यादातर व्यापारी कैशलेस सिस्टम को लेकर डरे दिखे. व्यापारियों का सबसे बड़ा सवाल था कि उनके सामान को फैक्ट्री, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन या फिर दूसरे बाज़ारों से लाने वाले मजदूरों को बिना कैश वो भुगतान कैसे करेंगे. व्यापारियों के सामने सबसे बड़ी चिंता ये है कि पुराने व्यापारियों से जिनसे वो सामान लाते हैं उनमें से ज़्यादातर पेमेंट कैश से होती है कैश ना होने की हालत में वो कभी-कभी चैक के लिए भी मान जाते हैं लेकिन ज़्यादातर वक्त उन्हे कैश पेमेंट ही करना होता है. इसके अलावा रिक्शा चलाने वाले हो या फिर लोडिंग ऑटो वाले सब व्यापारियों से भुगतान नगद में ही लेते हैं ऐसे में कैशलेस व्यापार करना लगभग नामुमकिन है.
इसके अलावा कैशलैस व्यापार का एक और डर जो व्यापारियों को सता रहा है वो है कई बार ठप्प होने वाला सर्वर या फिर ग्राहक की छोटी सी चूक का. व्यापारियों का कहना है कि कई बार सर्वर डाउन होने के कारण ग्राहक वक्त पर पेमेंट नहीं कर पाता. इसके अलावा कार्ड से भुगतान में कई बार रुपए वक्त पर दुकानदार के खाते में नहीं पहुंच पाते. ऐसा नहीं है कि सिर्फ व्यापारी ही कैशलेस सिस्टम से घबरा रहे हैं. दुकानदारों के अलावा ग्राहक भी कैशलेस सिस्टम से कतरा ही रहे हैं. ग्राहकों के मुताबिक वो कई बार डेबिट और क्रेडिट कार्ड के क्लोन होने की खबरों को देख और पढ़ चुके हैं और इसलिए कार्ड से भुगतान को पूरी तरह सुरक्षित नहीं मानते हैं.
बहरहाल, सरकार की कोशिश है कि लोग अब बटुए से ई-बटुए पर आएं लेकिन इतने बड़े देश में जहां लगभग 80 फीसदी से ज़्यादा का व्यापार नगदी में होता है वहां लोगों को कैश से निकालकर कैशलेस सिस्टम में लाना आसान तो कतई नहीं होगा.