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नेट न्यूट्रैलिटी पर TRAI की सिफारिश, इंटरनेट पर कंटेंट में भेदभाव नहीं कर सकते

नेट न्यूट्रैलिटी एक प्रिंसिपल है जिसके तहत यह तय किया गया है कि कोई भी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर अपने सभी कस्टमर्स को कॉन्टेंट में कोई भेदभाव नहीं करेंगी. इस प्रिंसिपल का बचाव TRAI ने भी किया है.

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

नेट न्यूट्रैलिटी का बचाव करने वालों के लिए एक अच्छी खबर है. भारत की टेलीकॉम रेग्यूलेटर टेलीकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने नेट न्यूट्रैलिटी पर अपनी सिफारिश जारी की है. इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि कोई भी सर्विस प्रोवाइडर कॉन्टेंट में भेदभाव नहीं कर सकता है.

नेट न्यूट्रैलिटी के बारे में अगर आपको नहीं पता, तो बता दें कि यह एक प्रिंसिपल है जिसके तहत यह तय किया गया है कि कोई भी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर अपने सभी कस्टमर्स को कॉन्टेंट में कोई भेदभाव नहीं करेंगी.  

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गौरतलब है कि मौजूदा समय में दुनिया भर में नेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा छाया है और भारत कुछ समय पहले फेसबुक के फ्री बेसिक को इस विवाद के बाद ही भारत सहित दूसरे देशों से भी बैन कर दिया गया है.

TRAI ने ने इस रिकॉमैन्डेशन में कहा है, ‘इंटरनेट सर्विस उस सिद्धांत पर चलना चाहिए जिसमें कोई भेदभाव न हो या किसी कॉन्टेंट को लेकर अलग रवैया न हो. इसमें किसी खास सर्विस के लिए इंटरनेट को स्लो करना या फिर किसी कॉन्टेंट को ब्लॉक करना शामिल है.’  

TRAI ने कहा है कि सर्विस प्रोवाइडर और मोबाइल टेलीकॉम ऑपरेटर्स किसी को कोई भी ऐसा समझौता नहीं करना चाहिए जिसमें कॉन्टेंट भेदभाव जैसी चीजें हों.

आपको बता दें कि फेसबुक ने भारत में टेलीकॉम कंपनियों से पार्टनर्शिप करके फ्री बेसिक लाने की तैयारी कर ली थी जो नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ था. लेकिन भारी विरोध के बाद फेसबुक को यह फैसला वापस लेना पड़ा.

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TRAI की इस सिफारिश में इंटरनेट टैरिफ के बारे में भी लिखा है. इसके मुताबिक इंटरनेट टैरिफ TRAI रेग्यूलेटर करेगा और सर्विस प्रोवाइडर जब टैरिफ का बदलाव करेंते तब इसे फिर से नेट न्यूट्रैलिटी के पैमाने पर जाचा जाएगा.

आपको बता दें कि नेट न्यूट्रैलिटी न होने का सीधा असर एक यूजर को पड़ता है. क्योंकि जिन कंपनियों ने इंटरनेट सर्विस से करार करेंगे सिर्फ उनके कॉन्टेंट यूजर के पास तेजी से खुलेंगे जबकि जिन्होंने सर्विस प्रोवाइडर से करार नहीं किया है उनके कॉन्टेंट स्लो खुल सकते हैं. यह एक बड़ी समस्या हो सकती है अगर नेट न्यूट्रैलिटी न हो तो.  

अमेरिकी रेग्यूलेटर फेडरल कम्यूनिकेशन्स कमीशन ने हाल ही में कहा है कि वो नेट न्यूट्रैलिटी को वापस लेने की तैयारी कर रही है जिसे अमेरिका में 2015 में लागू किया गया था. हालांकि अमेरिका में भी नेट न्यूट्रैलिटी का जमकर विरोध हुआ जिसमें दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां भी शामिल हुईं.

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