Advertisement

TRAI ने इंटरनेट वाले मैसेजिंग ऐप के लिए मांगे विचार

दूरसंचार नियामक ट्राई ने स्काइप, वाइबर, व्हाट्स ऐप और गूगल टॉक जैसे इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेज एप्लिकेशन के लिए मसौदा तैयार की प्रक्रिया शुरू की है.

Symbolic Image Symbolic Image
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 11:37 AM IST

दूरसंचार नियामक ट्राई ने स्काइप, वाइबर, व्हाट्स ऐप और गूगल टॉक जैसे इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेज एप्लिकेशन के लिए मसौदा तैयार की प्रक्रिया शुरू की है.

इस प्रकार की सेवा देने वाली कंपनियां ओवर द टॉप (OTT) कहलाती हैं. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के सचिव सुधीर गुप्त ने एक बयान में कहा, 'OTT सेवाओं तथा इंटरनेट की निष्पक्षता को लेकर दुनिया भर में सरकारों, उद्योग तथा ग्राहकों के बीच एक बहस जारी है. इसी बारे में ट्राई ने OTT सेवाओं के लिए नियामकीय मसौदे पर परामर्श पत्र जारी किया है.'

Advertisement

फिलहाल उपभोक्ता मोबाइल एप्लिकेशन और कंप्यूटर के जरिये इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग कर फोन कॉल करने या संदेश भेजते हैं. उन्हें इसके लिये केवल इंटरनेट के उपयोग का पैसा लगता है, लेकिन प्रति कॉल या संदेश के आधार पर उन्हें कुछ नहीं देना पड़ता. दूरसंचार कंपनियों तथा वीओआई सेवा प्रदाताओं या ओटीटी इकाइयों के बीच इस मुद्दे को लेकर विवाद है.

दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि स्काइप, व्हाट्स ऐप, वाइबर आदि जैसी ओटीटी कंपनियां नेटवर्क में निवेश किये बिना उनकी कमाई का मुख्य जरिया खा रही हैं. वहीं दूसरी तरफ ओटीटी कंपनियों ने समुदाय और देश की वृद्धि के लिये बिना बाधा के इंटरनेट या वेब आधारित सेवाओं तक पहुंच की मांग कर अपना अपना बचाव किया है. इससे पहले ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने ओटीटी सेवाओं पर नियमन बनाने की प्रक्रिया शुरू करने का संकेत दिया था.

Advertisement

एयरटेल द्वारा वीओआईपी कॉल के लिये अलग से शुल्क लेने की योजना को लेकर हुई आलोचना के बाद उन्होंने यह संकेत दिया था. नियामक ने मामले में रुचि रखने वाले लोगों से 24 अप्रैल तक तथा इस पर जवाबी प्रतिक्रिया 8 मई तक मांगी है.

---इनपुट भाषा से

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement